भगवान शिव के भक्त कई पंथ, वर्ग, सम्प्रदाय या अखाड़ों में फैले हुये हैं। अखाड़ों के सदस्यों को बाबा कहते हैं। ये अखाड़े उत्तर भारत में पाये जाते हैं। बरेली में ऐसे चार अखाड़े हैं। इनमें से एक आनन्द वर्ग के नागा सन्यासी कहलाते हैं। नागा साधुओं के लिये आखाड़ा ही मुख्यालय होता है।
उन्होंने इस परिसर में भगवान शिव, जिन्हें अलखनाथ भी कहा जाता है, को समर्पित एक मन्दिर बनाया है। इस मन्दिर का नाम अलखनाथ मन्दिर है। मुख्य मन्दिर के अलावा इसी परिसर में कई अन्य छोटे मन्दिर भी हैं। ये अन्य देवी देवताओं को समर्पित हैं।
मन्दिर के चारों ओर कई भवन हैं जिनमें साधू या बाबा रहते हैं। प्रतिदिन अलखनाथ मन्दिर भारी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। अगर आप मन्दिर आयें तो परिसर में ही आपको गाय और बकरियाँ भी दिख जायेंगीं। यहाँ पर एक ऊँट भी है। साधू या बाबा भक्तों द्वारा दी गई वस्तुओं को ग्रहण करते हैं और आशीर्वाद स्वरूप उनके माथे पर भभूत लगाते हैं।