मिठारी और असर महल को देखने के बाद पर्यटकों को इन इमारतों की खूबसूरती की गवाही मिल जाएगी। मिठारी और असर महल को कर्नाटक स्थित बीजापुर के तत्कालीन शासक मुहम्मद आदिल शाह द्वारा 1640 में बनवाया गया था। इस ऐतिहासिक इमारत को फारसी शैली की सजावट और मुगलकालीन न्यायिक हॉल के रूप में जाना जाता है।
इस इमारत में महिलाओं के प्रवेश को कड़ाई से निषिद्ध किया गया था और हॉल के अन्दर तारीख तक त्यौहार मनाया जाता था। चार स्तम्भों पर बनीं जगह में मुसलमान नमाज अदा किया करते थे। वहॅा कमरे के भीतर 3 टैंक है जिनमें विभिन्न सुविधाऐं और दीवारों पर कलाकृति बनी हुई है।
एक टैंक की गहराई 20 फीट है जबकि अन्य दो अपेक्षाकृत छोटे है। फारसी वस्तुकला का कमरे में प्रर्दशन किया गया है और इस कमरे में हर साल उर्स का त्यौहार मनाया जाता है। पर्यटक जैसे की असर में प्रवेश करेगें, वह बीजापुर शहर के पूर्व इस्लाम युग के गढ़ के अवशेष भी देखेगें। यहॅा के पत्थरों पर शिलालेख भी मौजूद है। यह स्थान, पर्यटकों के आर्कषण का केन्द्र बन जाता है। जुम्मा मस्जिद इसके काफी नजदीक है।