यह बावली, डलहौजी से 1 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस बाबली को प्रसिद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर नामित किया गया है। वह यहां 1937 में अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण आएं थे और 7 महीने तक यहां की सुंदर वादियों में रहे थे ताकि वह जल्द ठीक हो सकें।
कहा जाता है कि यहां के पानी के औषधिय गुण के कारण नेता जी शीघ्र ही स्वस्थ्य हो गए। पर्यटकों को समय निकाल कर यहां अवश्य आना चाहिए, यह क्षेत्र सुंदर जंगलों और ताजे पानी के स्त्रोतों से भरा हुआ है।
इस झरने के दूसरी तरफ एक सुंदर सी झील देखने को मिलती है जो पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर बरबरस आकर्षित कर लेती है। जंगलों के बीच में पानी से गुजरते हुए यहां के एक गुफा में भी सैर के लिए जा सकते हैं। गुफा के अंदर हर समय एक बूंद गिरती है जिसका पता नहीं चल पाता कि यह बूंद कहा से गिरती है।
इस बूंद को टपकना देखना भी पर्यटकों के कौतूहुल का विषय है। यहां पास में ही एक चाय की दुकान भी है जहां पर्यटक भ्रमण करने के बाद चाय की चुस्कियों को लेते हुए अपनी थकान दूर सकते हैं। यहां से दिखने वाले बर्फ ढ़के पहाड़ भी काफी आकर्षक लगते हैं।