दिल्ली स्थित सफदरजंग का मकबरा दिल्ली की आखिरी संलग्न कब्र है। इस मकबरे का निर्माण वर्ष 1753 में अवध के नवाब शुजा उद दौला द्वारा अपने पिता के सफदरजंग की याद में बनवाया गया था। मकबरा एक सफेद समाधि है जो मुगल वास्तुकला का अंतिम चिराग माना जाता है।
इस 300वर्ग किलोमीटर स्मारक का प्रवेश द्वार प्रभावशाली आकृति के साथ सुंदर लाल बलुआ पत्थर से निर्मित किया गया है।कब्र का केंद्रीय हिस्सा अपने रंगों के भव्य प्रदर्शन के साथ आपकी आंखों को सुकून देगा जिसे देखकर दांग रह जाएंगे आप। इस मकबरे में स्थित नौ अन्य मिनी कब्रें भी आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करेंगी जिनको देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे । ये मकबरा प्राचीन मुग़ल वास्तुकला की एक जिंदा मिसाल है जो बहुत ही खूबसूरत है।
अगर आप दिल्ली में है तो हम आपको यही सलाह देंगे की आप सफदरजंग के मकबरे का दौर ज़रूर करें यहाँ मौजूद विशाल दीवारें, लम्बे फव्वारे, मुग़ल गार्डन आपको मुग़ल शैली की तारीफ करने से नहीं रोक पाएंगे। इस मकबरे में सोलह खंड हैं जिनके नाम हमेशा आपके ज़हन में रहेंगे जैसे मोती महल, जंगली महल, बादशाह पसंद।
यह मकबरा सातों दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुलता है। इस जगह के आस पास अब भी इसी मकबरे के नाम का प्रयोग किया जाता है।