नामग्याल तिब्बतशास्त्र संस्थान तिब्बती संग्रहालय है, जो वर्ष 1958 में अपनी स्थापना के बाद से तिब्बत सभ्यता, धर्म, भाषा, कला और संस्कृति और इतिहास से संबंधित शोध कार्यों को बढ़ावा देता है एवं प्रायोजन करता है। संस्थान में कई सारे दुर्लभ संग्रह है, जैसे लेप्चा, तिब्बती और संस्कृत में पांडुलिपियां, कलात्मक टुकड़े, थंकस और मूर्तियां।
संग्रहालय में करीब 200 बौद्ध प्रतीक भी शामिल हैं। संस्थान एक परियोजना लाने की योजना बना रहा है, जिसके अंतर्गत सभी दुर्लभ और पुरानी तस्वीरों को प्रलेखित किया जाएगा और डिजिटलाइज़ किया जायेगा। एक पारंपरिक तिब्बती बौद्ध शैली में निर्मित इस संस्थान की वास्तुकला अत्यंत सुंदर है और इसके भीतर दीवारों पर सुंदर चित्र सुसज्जित हैं।
इसके अलावा संस्थान द्वारा स्थापित पास में ही एक पार्क है, जिसे सिक्किम के अंतिम राजा की स्मृति में बनवाया गया था, यहां जाना फायदेमंद रहेगा। पार्क में राजा की एक सुंदर कांस्य प्रतिमा बनी है। केंद्रीय गंगटोक दक्षिण की ओर स्थित देओराली में स्थित संस्थान आम जनता के लिये सोमवार से शनिवार तक सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है। पुस्तकालय एवं संग्रहालय का प्रवेश शुल्क 10 रुपये है।