नाहरगढ़ फोर्ट को जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वारा बनाया गया था। इस किले का निर्माण कार्य 1734 में पूरा किया गया, हालांकि बाद में 1880 में महाराजा सवाई सिंह माधो द्वारा किले की विशाल दीवारों और बुर्जो का पुननिर्माण भी करवाया गया था। यह किला, अरावली पर्वतों की श्रृंखला में बना हुआ है जो भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का सुंदर समामेलन है।
इस किले का नामकरण जयपुर के राजकुमार नाहर के नाम पर किया गया था। कहा जाता है कि राजकुमार की आत्मा, इस किले के निर्माण में काफी बाधा पहुंचाती थी जिसके बाद किले के परिसर में एक मंदिर का निर्माण करवाया गया जिसमें राजकुमार की आत्मा की शांति के लिए काफी प्रयास किए गए थे।
किले के नाम में बाने वाला शब्द नाहरगढ़ का अर्थ होता है - बाघों का निवास। किले में एक माधवेन्द्र भवन है जिसका इस्तेमाल राजा और उनके परिवारजनों द्वारा गर्मियों के दिनों में किया जाता था। वर्तमान में यह किला एक पिकनिक स्पॉट बन गया है जो जयपुर में काफी लोकप्रिय है। पर्यटक यहां आकर किले के परिसर में स्थित कैफेटेरिया और रेस्टोरेंट में एंजाय कर सकते है।