महाराजा गंगाधर राव की छतरी एक कब्र या युद्ध स्मारक है। इसका निर्माण रानी लक्ष्मीबाई द्वारा 21 नवंबर 1853 को रानी लक्ष्मीबाई द्वारा उनके पति महाराजा गंगाधर राव के निधन के पश्चात करवाया गया था। लक्ष्मी ताल या तालाब के बाजू में स्थित यह छतरी झाँसी शहर का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक है।
150 वर्ष पुरानी होने के बावजूद महाराजा गंगाधर राव की छतरी समय का सामना करते हुए खड़ी है। इसकी घुमावदार छत बारह कलात्मक नक्काशीदार स्तंभों पर टिकी है जो उस समय की शानदार वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह छतरी अपने भावनात्मक आकर्षण के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों और पर्यटकों को आकर्षित करती है।
यह स्थान उस समय के नायकों के प्रति गहरी श्रद्धा और देश भक्ति का जोश उत्पन्न करता है, विशेष रूप से साहसी रानी लक्ष्मीबाई के प्रति।