अनाशक्ति आश्रम को गांधी आश्रम के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण महात्मा गांधी के सम्मान में किया गया था। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने 1929 में इस आश्रम का भ्रमण किया था। इस स्थान के बारे में महात्मा गांधी ने लिखा था कि अनाशक्ति का अर्थ होता है- ऐसा योगा जिससे आप संसार से अगल होकर पूर्ण रूप से ध्यानमग्न होते हैं। उनकी जिंदगी से जुड़ी कई किताबें और फोटोग्राफ इस आश्रम में उपलब्ध हैं। यह जगह अब अध्ययन और शोध केन्द्र में बदल गया है, जहां रहने और खाने की भी व्यवस्था है। यहां एक प्रार्थना कक्ष है, जहां हर सुबह और शाम प्रार्थना की जाती है।