खम्माम शहर दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश में स्थित है, और यह शहर खम्माम जिले के मुख्यालय के रूप में भी जाना जाता है। हाल ही में इस क्षेत्र में जोड़े गए आसपास के 14 गावों के बाद, यह शहर एक नगर निगम बन गया है। यह शहर राजधानी हैदराबाद की पूर्वी दिशा में 273 किलोमीटर दूर स्थित है और आंध्र प्रदेश आने वाले यात्रियों का एक पसंदीदा स्थान है।
एक स्थानीय किंवदंती के अनुसार, इस स्थान को अपना नाम सिंहाचलम मंदिर से मिला है जो पहले स्तंभ शिखरी और बाद में स्तंभाद्री के नाम से जाना जाने लगा। यह मंदिर भगवान नृसिंह स्वामी को समर्पित है जिन्हें भगवान विष्णु का एक अवतार रुप माना जाता है।
यह साबित हो चुका है कि यह मंदिर त्रेता युग के समय से अस्तित्व में है, लगभग 1.6 लाख साल पहले। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और मंदिर के नीचे खड़ी चट्टान एक स्तंभ के रुप में कार्य करती है। इसी स्तंभ या ‘खंबे’ से इस शहर को अपना नाम प्राप्त हुआ है। खम्माम के आसपास के क्षेत्र को 'खंबा मेट्टु' के रूप में जाना जाने लगा, लेकिन बाद में यह नाम ‘खम्मम्मेट’ हो गया थोड़ा और आगे चलकर यह खम्माम में तबदील हो गया।
खम्माम मुन्नेरु नदी के तट पर स्थित एक सुंदर शहर है, यह कृष्णा नदी की एक उप-नदी है। खम्माम शहर आंध्र प्रदेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रसिद्ध खम्माम किला, केवल शहर के लिए ही नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश राज्य के लिए भी एक ऐतिहासिक महत्व का स्थान है।
यह किला बहुत शानदार ढ़ंग से पहाड़ी की चोटी पर खड़ा है और वीरता तथा सर्वोच्च समामेलन दोनों वास्तुकलाओं की विभिन्न शैलियों का एक उदाहरण है। यह समामेलन इस तथ्य से उपज होता है कि इस किले को विभिन्न धर्मों के शासकों ने अलग-अलग समय पर बनाया है।
प्राचीन काल में खम्माम, व्यावसायिक और सामाजिक क्रियाकलापों का एक केंद्र था, खासकर तालुका के शासनकाल दौरान। इस शहर पर कई राजाओं ने शासन किया और यह शहर कई राजवंशों के शासन के अधीन रहा है, और इन सभी ने इस क्षेत्र के इतिहास, कला और स्थापत्य कला पर अपनी एक अदम्य छाप छोड़ी है।
खम्माम शहर सांप्रदायिक एकता का एक अच्छा उदाहरण है। विभिन्न धर्मों के लोग, अपनी विविध संस्कृतियों का अनुसरण करते हैं, और यह खम्माम को अपनी एक अनूठी पहचान देता है। मंदिर और मस्जिद खम्माम के पर्यटक आकर्षणों में से एक हैं, और इन में से कई पर्यटक स्थल एक दूसरे के आस-पास ही मौजूद हैं।
खम्माम और उसके आसपास के पर्यटक स्थल
खम्माम एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है और भारत भर से लाखों यात्रियों को आकर्षित करता है। खम्माम और उसके आसपास कई ऐसे स्थान हैं जिनका आप आनंद ले सकते हैं। इनमें से, सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में खम्माम किला, जमालपुरम मंदिर और खम्माम लक्ष्मी नृसिंह मंदिर शामिल हैं। क्षेत्र के प्रमुख भ्रमण स्थलों में पालार झील, पापी कौंडलु की पहाड़ियां और वायार झील शामिल हैं।
खम्माम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
सर्दियों के महीने खम्माम शहर की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय है, तब वातावरण भी सुखद बना रहता है। हालांकि पूरे साल इस क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय मौसम रहता है, इस क्षेत्र की सर्दियां उत्तर भारत की सर्दियों की तुलना में बहुत ही हलकी होती हैं। हालांकि, गर्मियों के महीनों में बहुत गर्मी होती है और ऐसे मौसम में खम्माम की सैर करना उचित नहीं होगा। इस क्षेत्र में वर्षा मानसून के महीनों में होती है, और मानसून में तापमान में गिरावट आती है, लेकिन नमी का स्तर पूर्ण रुप से बढ़ जाता है।
कैसे पहुंचें खम्माम
खम्माम शहर सड़क और रेल मार्ग द्वारा राज्य के तथा देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। खम्माम में कोई हवाई अड्ड़ा नहीं है, और निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ड़ा राजधानी हैदराबाद में स्थित है। हालांकि, सड़कें और रेल गाड़ियां खम्माम में हवाई अड्ड़े की कमी को पूर्ण करती हैं।
इस शहर से दो राष्ट्रीय राजमार्ग होकर गुजरते हैं जो सड़क यात्रा को और आसान एवं आरामदायक बना देते हैं। राज्य सरकार की कई बसें खम्माम और अन्य शहरों के बीच चलती हैं। भारत भर से कई रेल गाड़ियां खम्माम रेलवे स्टेशन पर रुकती हैं क्योंकि यह स्टेशन हैदराबाद-विशाखापत्तम लाइन पर स्थित है।