चौक, लखनऊ में एक तरह का बाजार है जो शहर का प्रतिष्ठित सार्वजनिक स्थल है। यह जगह 18 वीं शताब्दी के मध्य से इतिहास बयां करती है। चौक में तीन प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं जिनमें गोल दरवाजा, शाह मीना का मकबरा, एक मुस्लिम संत और एक किला है जिसे पंच महल कहा जाता था, 1766 के बाद से इस महल को मच्छी ( मछली ) भवन के नाम से जाना जाता है।
पंच महल का नाम बदलने के दो प्रमुख कारण है। पहला यह है कि इस किले में 26 मेहराब थी और हर मेहराब में दो मछलियां खुदी हुई थी। दूसरा कारण यह है कि इस महल के मालिक को मछली के सम्मान की उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, मछली को एक शुभ जानवर माना जाता है। मछली के इस प्रतीक को केवल चौक की इमारतों पर ही नहीं बल्कि सरकार के कई सील में भी देखा जा सकता है। चौक की लोकप्रियता में वृद्धि हुई और धीरे - धीरे यह पुराने लखनऊ का एक प्रमुख हिस्सा बन गया।
चौक और इसके आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सार्वजनिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और वाणिज्यक भवनों को भी देखा जा सकता है। यहां के आवोहवा में लखनऊ के रंग साफ नजर आते है।