लखनऊ के शहीद स्मारक को लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा उन अज्ञात और गुमनाम सेनानियों के लिए बनवाया गया है जिन्होने 1857 में आजादी के पहले युद्ध में अपनी जान गंवा दी। यह अच्छी तरह जाना जाता है कि लखनऊ में आजादी की पहली लड़ाई में लखनऊ के कई निवासी, शासकों और नवाब वाजिद अली शाह व उनकी बेगम हजरत महल ने बढ़चढ़ कर इस आन्दोलन में हिस्सा लिया था।
यह स्मारक दिल्ली के अमर जवान ज्योति की तर्ज पर बनाया गया है, जहां देश के लिए बलिदान देने वालों को श्रद्धांजलि देने के लिए स्मारक बनाया गया था। इस स्मारक को 1857 के सिपाही विद्रोह की पहली शताब्दी के उपलक्ष्य में बनाया गया था।
इस स्मारक को मशहूर वास्तुकार प्रसन्ना कोठी द्वारा डिजायन किया गया था। यह एक खूबसूरत और आकर्षित संगमरमर का ऑवर है जो बड़े कलात्मक ढंग से गोमती नदी के किनारे शहर के केंद्र में स्थित है। यहां एक बड़ा सा सभागार है और एक लाइब्रेरी भी है जो बुरहा तालाब के पास स्थित है और यहां पास में स्थित दूधधारी मंदिर लगभग 500 साल पुराना है।