उत्तरप्रदेश में स्थित मुज़फ्फरनगर अपने मंदिरों एवं अन्य धार्मिक स्थलों के लिए विख्यात है। इस शहर की स्थापना, मुग़ल काल के दौरान एक सईद जागीरदार ने अपने पिता मुज़फ्फर अली खान के सम्मान में की थी। मुजफ्फरनगर, दिल्ली से देहरादून को जोड़ने वाले राजमार्ग पर स्थित है। यह शहर नॉएडा के पिछले हिस्से में तेज़ी से एक प्रमुख शहर के रूप में उभर रहा है।
मुज़फ्फरनगर का इतिहास
इस क्षेत्र में सभ्यता (मनुष्यों की बस्ती) के प्रारंभिक सबूत हड़प्पा सभ्यता के समय से मिलते हैं। इस शहर का उल्लेख महाभारत में भी किया गया है, और एक स्थानीय लोककथा के अनुसार महाभारत का युद्ध वर्तमान गाँव ‘पचेंदा’ के खेतों में लड़ा गया था। दोनों पक्षों के सेना शिविर जहाँ लगाए गए थे वे स्थान आज ‘कौरावाली’ (कौरवों का शिविर) और ‘पांडवली’ (पांडवों का शिविर) के नाम से प्रसिद्ध हैं। मुज़फ्फरनगर, हस्तिनापुर और कुरूक्षेत्र दोनों के ही पास है और ये दोनों स्थान महाभारत के युद्ध से संबंधित हैं। इस शहर को मुगलकाल के दौरान पुन: प्रसिद्धी मिली जब सईद जागीरदार ने इस शहर की स्थापना की और इसका नाम अपने पिता के नाम पर रखा।
हलचल से भरपूर मुज़फ्फरनगर आज नॉएडा और मेरठ को कड़ी टक्कर दे रहा है और अचल संपत्ति (रियल एस्टेट) एवं अन्य उद्योगों में निवेश के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह शहर भैरों मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। भक्त, खासकर त्योहार के समय, लाखों की संख्या में यहाँ आते हैं।
मुज़फ्फरनगर में और इसके आस पास के पर्यटन स्थल
जैसा कि पहले कहा गया है, इस शहर का मुख्य आकर्षण ‘भैरों का मंदिर’ है। इसके अलावा यहाँ और भी कई मंदिर एवं धार्मिक स्थल हैं जहाँ भक्त जाना पसंद करते हैं। इनमें गणेशधाम, दुर्गा धाम, हनुमान धाम और काली नदी मंदिर सम्मिलित हैं। शहर के कुछ मील की दूरी पर शिव चौक में कई अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस चौक में एक अत्यंत प्राचीन ‘अक्षय वट वृक्ष’ (बरगद का पेड़) है जिसे हिन्दुओं में बहुत पवित्र माना जाता है। इस शहर में एक प्रसिद्ध सूफ़ी संत का मकबरा ‘दरगाह हर श्रीनाथ’ भी है। इसके अतिरिक्त यहाँ ‘संकीर्तन भवन’ है जहाँ प्रत्येक शाम को कीर्तन किया जाता है।
मुज़फ्फरनगर के पास वहेलना नाम का एक सुंदर गाँव है जहाँ ‘श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र’ है जिसे वहेलना जैन मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह उत्तर भारत के ऐतिहासिक एवं मुख्य धार्मिक केंद्रों में से एक है। धार्मिक स्थलों के अलावा मुज़फ्फरनगर में कई संग्रहालय एवं शैक्षणिक संस्थाएं हैं, जिनमें जूलॉजी म्यूजियम और शासकीय शैक्षणिक संग्रहालय सम्मिलित हैं। शहर की हलचल से दूर ‘कमला नेहरू वाटिका’ में कुछ शांत पल बिता सकते हैं।
यहाँ आप एक अन्य धार्मिक स्थल ‘शुक्रताल’ भी देख सकते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये वह स्थान है जहाँ सुक ऋषि ने परीक्षित महाराज को 7 दिनों तक भगवत पुराण सुनाया था। इसके बाद सांप के काटने से उनकी मौत हो गई।
मुज़फ्फरनगर का मौसम
मुज़फ्फरनगर में नवंबर से अप्रैल के बीच का मौसम सुहावना होता है, अतः यह समय शहर का भ्रमण करने के लिए सबसे अच्छा है। हालांकि कई धार्मिक स्थल एवं मंदिर होने के कारण पर्यटक यहाँ वर्ष भर आते हैं।
मुज़फ्फरनगर कैसे पहुंचे
मुज़फ्फरनगर रेलमार्ग, वायुमार्ग या सडक द्वारा पहुंचा जा सकता है।