छतरियों का अर्थ है शाही समाधियाँ जो ओरछा में नदी के किनारे एक अनोखा आकर्षण उत्पन्न करती हैं। बेतवा नदी के कंचन घाट पर ऐसे 14 स्मारक हैं। ओरछा के शासकों की याद में बनवाये गये ये स्मारक 17वीं और 18वीं शताब्दी के हैं।
ये छतरियाँ बुन्देल राजाओं के सम्मान में हैं और खास बुन्देलखण्ड शैली में बनी हैं। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि जिस काल में इनका निर्माण वह एक “स्वर्णिम युग” था। सूर्यास्त के दौरान नदी में इन स्मारकों का प्रतिबिम्ब देखते ही बनता है।
खम्भों पर बने उँचे मंच पर स्थित ये छतरियाँ अपने जादुई आकर्षण से हर वर्ष भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। इन छतरियों को एक संकरे पुल से सबसे बेहतर देखा जा सकता है और ओरछा आने वाले लोगों को इन्हें अवश्य देखना चाहिये। नदी के किनारे बने इस स्थल पर पर्यटकों को भरपूर आनन्द प्राप्त होता है।