पासीघाट, जिसे अरुणाचल प्रदेश का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, इस राज्य का सबसे पुराना शहर है। पासीघाट को 1911 में, अंग्रेजों ने स्थापित किया था, जो आज पूर्वी सियांग जिले के मुख्यालय के रुप में कार्य करता है। सियांग नदी के किनारे बसा पासीघाट, समुन्द्र तल से 152 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
कृषि, यहाँ के स्थानीय लोगों का मुख्य व्यवसाय है। प्रमुख तौर पर यहाँ धान की खेती की जाती है, पर इसके अतिरिक्त इस शहर के करीब चाय के कई बागान भी हैं। कृषि और बागवानी के साथ पर्यटन भी पासीघाट की आय का एक प्रमुख स्रोत है।
पासीघाट और उसके आस पास के पर्यटक स्थल
पासीघाट अपने साहसिक खेलों के साथ शहर के सुंदर स्थानों के लिए भी लोकप्रिय है। झरने, झूलते पुलों और पहाड़ की चट्टानें एक ही समय में इसे पर्यटन और विश्राम का स्थान बनाते हैं। ड़ी’ एरिंग अभयारण्य, केकर मोंइंग, कोंसिंग और पनगिन इस शहर के कुछ पर्यटक स्थल हैं। एक समृद्ध संस्कृति से बंधे इस स्थान में अदि जनजाति के लोग रहते हैं। यह भी माना जाता है कि अदि भाषा का सम्मेलन पासीघाट में शुरु हुआ था।
पासीघाट के मूल निवासी अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपरा का अनुसरण करते हैं। यहाँ त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। मोपिन और सोलुंग यहाँ मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार हैं। मोपिन का त्योहार बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए मनाया जाता है। स्थानीय लोग धन और ज्ञान की देवी की पूजा कर उनसे अपनी सफलता और अपने जीवन से नकारात्मक चीजों को दूर रखने की प्रार्थना करते हैं। यह आमतौर पर अप्रैल के महीने में, बुआई के केवल कुछ दिनों पहले मनाया जाता है। सोलुंग एक और लोकप्रिय त्योहार है जिसे अगस्त के महीने में कुल पांच दिनों तक मनाया जाता है।
कैसे पहुंचे पासीघाट
पासीघाट, अरुणाचल प्रदेश के आस पास के शहरों से तथा असम के कुछ स्थानों से भी जुड़ा हुआ है।
पासीघाट का वातावरण
पासीघाट, उष्णकटिबंधीय जलवायु के साथ हलकी सर्दियों को भी अनुभव करता है। यह साल में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने के लिए भी जाना जाता है।