पेलिंग शहर समुद्र सतह से 2150 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। बर्फ़ से ढंके हुए पहाड़ और पहाड़ों की चोटियों से दिखने वाले मनोरम दृश्य तथा साथ ही साथ पेलिंग का समृद्ध इतिहास और संस्कृति इसे गंगटोक के बाद सिक्किम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्यटन गंतव्य बनाते हैं। प्रारंभ में पेलिंग जंगलों से भरी हुई भूमि थी जो अनेक वन्य प्राणियों का घर थी। यह क्षेत्र पूर्ण रूप से विकसित गाँव के रूप में विकसित हुआ क्योंकि यह दो बौद्ध मठों पेमयांग्स्ते और संगाचोलिंग के बीच में स्थित था।
पेलिंग में तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल
पेलिंग के दो प्रमुख आकर्षण पेमयांग्स्ते मठ और संगचोएलिंग मठ हैं। अन्य पर्यटन आकर्षणों में सिंगशोरे ब्रिज (पुल), छांगे वॉटरफॉल और खेचुपेरी झील शामिल हैं।
संस्कृति
पेलिंग में जो जनजाति पाई जाति है वह लिम्बु समुदाय की है। उनके अलावा इस क्षेत्र में अन्य कई उपजातियां हैं जैसे खामधक, मुरिंगला, लिंगदेन और पघा। यहाँ के लोग खेती द्वारा अपनी आजीविका कमाते हैं। यहाँ उत्पन्न की जाने वाली फ़सलों में इलायची, मक्का, धान, गेहूँ और कुट्टू शामिल हैं।
त्योहार और उत्सव
प्रतिवर्ष मनाये जाने वाले कंचनजंघा त्योहार के दौरान संपूर्ण क्षेत्र में उत्सव का माहौल रहता है। त्योहार के दौरान कई मजेदार गतिविधियाँ होती हैं जैसे रनरंगित में व्हाईट वॉटर रॉफ्टिंग, कयाकिंग, प्रचार ट्रेकिंग, पहाड़ों पर बाइकिंग और अन्य साहसिक गतिविधियाँ जैसे पहाड़ों पर बाइकिंग और पारंपरिक खेल। त्योहार के दौरान पारंपरिक लिम्बु नृत्य और उडिंग, छब – रंग (ड्रम) और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रदर्शन भी किया जाता है।
इस त्योहार में फूलों की प्रदर्शनी, खाने और कपड़ों के स्टॉल भी होते हैं।
पेलिंग का मौसम
पेलिंग का मौसम वर्षभर खुशनुमा रहता है। इसी कारण से वर्ष में किसी भी समय यहाँ की सैर की जा सकती है।
पेलिंग की यात्रा का उत्तम समय
पेलिंग की यात्रा के लिए उत्तम समय तब होता है जब कंचनजंघा त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार तिब्बती कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने के 15 वें दिन लगभग अगस्त में मनाया जाता है।
पेलिंग कैसे पहुँचे
पेलिंग भारत के अन्य प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग और रेल द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।