आम तौर पर गोवर्धन मठ, भोगो वर्धन मठ के रूप में जाना जाता है। यह चार प्रमुख मठों में से एक है जिसकी स्थापना 8 वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने की थी, इसका प्रमुख उद्देश्य सन्यासियों के विभिन्न समूहों को एक साथ लाना था। ऋग्वेद की कार्यभारी गोवर्धन मठ पर है। यह पुरी शहर में स्थित है।
यह मठ जगन्नाथ मंदिर के साथ ऐतिहासिक रुप से जुड़ा है और यहां जगन्नाथ (भैरव) एवं देवी विमला (भैरवी) पूजे जाने वाले प्रमुख देव हैं। आज, इस मठ के दर्शन करने आए श्रद्धालु जीवन की आध्यात्मिकता को एवं दान को अनुभव कर सकते हैं।
आधुनिक काल के क्रियाकलापों में वैदिक शिक्षा केंद्र, एक योग विद्यालय, व्यायाम शाला में विभिन्न प्रकार के एथलीटों को प्रशिक्षण देते हैं, तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए एक दवाखाना है और यहां पुरी निवासियों का मुफ्त में इलाज होता है तथा एक गौशाला जो लगभग 70 गायों का निवास स्थान है सारे शामिल हैं।