श्रीनगर में इस मंदिर के साथ कई मिथक और विश्वास जुड़े हैं। एक आम धारणा के अनुसार, इस मंदिर को पांडवो ने बनवाया था जो 5 वीं सदी के महाकाव्य महाभारत के महत्वपूर्ण चरित्र थे। दूसरी तरफ माना जाता है कि सम्राट गोपादित्या ने 6 वीं सदी में इस मंदिर को बनवाया था।
कुछ शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि सम्राट अशोक के बेटे जालुका ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। वैसे इस मंदिर का जीणोद्धार कई बार करवाया गया है, अन्तिम बार इस मंदिर का जीणोंद्धार राजा ललितदित्य मुक्तापिदा ने 8 वीं सदी में करवाया था।