सेंट बैपटिस्ट चर्च 1852 में पुर्तगाली मिशनरीज एंटोनियो पोर्टो के निर्देशन में बना था। पहले इस चर्च का नाम सेंट एंथोनी चर्च था।
पानी में खेले जाने वाले खेल के शौकीन, बिना समय बर्बाद किए सूरज वॉटर पार्क की ओर रूख कर लें। 17 एकड़ जमीन में फैले इस पार्क में मस्ती करने के लिए कई आइटम है। रिमझिम नाम का एक डांस फ्लोर है जहां आर्टिफिशियल बारिश में डांस किया जाता है।
इनके अलावा...
11 वीं सदी में बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जोकि ठाणे से 26 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को सिलाहार वंश के राजा द्वारा 1060 ई. में बनवाया गया था।
हैमंतपादी शैली में बने इस मंदिर में पार्वती, गणेश और नंदी की मूर्तियां बनी हुई है।
आशापुरा देवी मंदिर, ठाणे में गॉडवुंडर रोड़ पर स्थित है जो 53 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण आशादेवी को श्रद्धांजलि देने के लिए करवाया गया था। यहां देवी आशापुरा की मूर्ति लगी हुई है जिसे बनाया नहीं गया है।कहा जाता है कि यह मूर्ति स्वयं से बन गई थी जिसकी...
मासुंदा तालाव को ठाणे जिले के मशहूर तालाव के रूप में जाना जाता है। यहां तालाव का अर्थ झील से होता है। ठाणे की यह आकर्षक जगह शहर से 15 से 20 मिनट की दूरी पर स्थित है। इस झील में नौका विहार का आनंद भी उठाया जा सकता है। साथ ही यहां पर जल स्कूटर पर भी परिवारके...
ठाणे में पाई जाने वाली इन सभी झीलों में उपवन झील सबसे सुन्दर है जोकि पोखरण इलाके में बहती है। इसके चारों तरफ येउर हिल्स है जो मन को लुभा देने वाला नजारा देती है।
यह शहर से 15 किमी. की दूरी पर मुंबई - आगरा राजमार्ग पर स्थित है। यहां कई प्रकार के कपड़े, कालीन, रेशमी कपड़े और हथकरघा का काम किया जाता है।
कोंकण के तटीय इलाके में स्थित यह जगह चारो ओर पहाडि़यों से घिर हुई है। यहां पास में स्थित मंदिर लगभग 800 साल पुराना...
ठाणे का बेसिन फोर्ट अब वसई फोर्ट के नाम से जाना जाता है। पांच सदियों पुराने इस किले को 1532 में गुजरात के तत्कालीन सुल्तान बहादुर शाह ने बनवाया था। बाद में इस किले को मराठों ने संभाल लिया था।
इस किले के शिलालेख, दरवाजे और फाटक आपका ध्यान आर्कषित...
ठाणे के दो पहाड़ी गांव काशी और मीरा को मिलाकर बनी इस जगह में खूबसुरती के जलवे ही जलवे नजर आते हैं। इस गांव में एक चर्च है जिसे सेंट जेरोम चर्च के नाम से जाना जाता है।
हर साल इस गांव में 25 और 26 दिसंबर को एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। साल के...
महाराष्ट्र राज्य के सबसे बढ़े समुद्र तटों में से यह एक है जोकि 7 किमी. दूरी में फैला हुआ है। केल्वा बीच के किनारों पर सुरू के पेड़ और शीतलामाता का मंदिर है।
यहां का शानदार तट पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करता है।
पक्षियों को देखने के शौकीन लोग ठाणे क्रीक जरूर जाएं। महाराष्ट्र में ठाणे क्रीक, पक्षियों के सरंक्षण के लिए एक प्रसिद्ध जगह है जहां 205 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।
गोल्डन प्लोवर, विहिस्लिंग टेल्स, हुपु, ग्रे प्लोवर जैसी कई दुर्लभ...
इन पहाडि़यों को मामा भांजा हिल्स के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय लोग अक्सर यहां वीकएंड मनाने आते है। यहां का 150 साल पुराना मंदिर, स्वामी मठ संस्थान और संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान देखना कतई न भूलें।
ठाणे जिले के मलसेज घाट पर स्थित नानीघाट हिल्स पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है। इसकी समुद्र स्थल से ऊंचाई 838.2 मीटर है। यह पहाड़ी ठाझो की प्राचीन पहाडि़यों में से एक है जो घाटमाथा से कोंकण तक पसरी हुई है।
इस पहाड़ी के पत्थर...
इस किले को भोरागढ़ किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले में बहमनी सल्नतन, मराठों और ब्रिटिश शासकों ने राज्य किया था।
किले के अन्दर भोरादेवी का मंदिर, कुछ कब्रें, दो सुंदर झीले और खंडहर घर बने हुए है। किले का प्रवेश द्धार काफी विशाल और...
सेंट जेम्स चर्च, ठाणे के प्रधान डाकघर और जेलजलाशय के पास स्थित चर्च है। यह चर्च 1825 में गोथिक शैली में बनाया गया था जिसमें 24 फुट ऊंची दीवारें है जोकि ग्रीक स्टोन से बनी हुई है।