राजा रघुनाथ सिंह ने इस शानदार मन्दिर को मखरला की ईंटों से 16वीं शताब्दी में बनवाया था। पक्की मिट्टी की शैली इस मन्दिर पर हावी है और दीवारों पर संस्कृति, धर्म और संघर्ष की कहानियाँ लिखी गई हैं। इसके अलावा आप कुछ अमूर्त और ज्यामितीय आकारों को भी देख सकते हैं जो शायद उस समय के मुक्त कला के अवशेष हैं।