पश्चिम बंगाल भारत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है जो उत्तर में हिमालय से दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तक फैला हुआ है। किसी समय यह ब्रिटिश औपनिवेशिक गतिविधियों का केंद्र था तथा यहाँ की वास्तुकला और प्राचीन इमारतों में इसके प्रमाण आज भी मिलते हैं। पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल पर्यटन में वृद्धि हुई है जो पारंपरिक और आधुनिक संस्कृति का मिश्रण दर्शाता है तथा बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
भौगोलिक स्थिति
पश्चिम बंगाल की भौगोलिक स्थिति विविध प्रकृति की है। इस राज्य के उत्तरी भाग में हिमालय की श्रेणियां हैं जो उच्चतम बिंदु को दर्शाती है तथा यह आसाम और सिक्किम की सीमाओं के साथ जुड़ा हुआ है। पश्चिम बंगाल के बहुत बड़े क्षेत्र में गंगा के तटीय मैदान फैले हुए हैं तथा दक्षिण में सुंदरबन के डेल्टा क्षेत्र में विस्तृत वन्य जीवन है जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा बंगाल की सीमा बंगाल की खाड़ी में समाप्त होती है। पश्चिम बंगाल उत्तर में नेपाल और भूटान से घिरा हुआ है तथा इसके पूर्वी ओर बांग्लादेश है।
भौगोलिक विविधताओं से परिपूर्ण यह प्रकृति यात्रियों को प्रकृति भ्रमण का एक अच्छा अवसर प्रदान करती है।
कोलकाता – तीन गाँवों के कहानी
कालिकाता, गोबिंदपुर और सुतानुती तीन गाँवों से मिलकर कलकत्ता या कोलकाता बना जिसकी स्थापना ब्रिटिश प्रशासक जॉब चर्नौक ने की थी। राजधानी शहर कोलकाता हुगली नदी के किनारे स्थित है तथा इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है।
यह एक प्रमुख पर्यटन स्थल है तथा अब इसे “आनंद का शहर” कहा जाता है। नोबल पुरस्कार विजेताओं के इस शहर में पर्यटन के अनेक आकर्षण हैं जिसमें विक्टोरिया मेमोरियल, हावड़ा ब्रिज, इंडियन म्यूज़ियम, मार्बल पैलेस, कालीघाट मंदिर, बिरला प्लेनेटेरियम (ताराघर), फोर्ट विलियम तथा अन्य शामिल हैं। प्राचीन इमारतें और स्मारक ब्रिटिश वास्तुकला को प्रदर्शित करते हैं जबकि पुरानी ज़मीनदार बारी और हवेलियाँ पश्चिम बंगाल की वास्तुकला शैली को प्रदर्शित करती हैं।
पश्चिम बंगाल की कला और संस्कृति
रबिन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध पंक्तियों “एकला चलो रे” से लेकर दिव्य बाउल संगीत आज अंतरराष्ट्रीय स्थान ले रहा है। बंगाल की कला में कला के विभिन्न रूप जैसे विविध प्रकार के नृत्य, पेंटिंग्स, मूर्तिकला आदि शामिल हैं। बंगाल की कला की जातीयता पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बंगाल के प्रत्येक क्षेत्र के हैंडलूम और टेक्स्टाईल की अपनी कहानी है।
वे पर्यटक जो पश्चिम बंगाल की कला को जानना चाहते हैं उनकी पहली पसंद शांतिनिकेतन होती है। “अड्डा” संस्कृति स्थानीय लोगों के जीवन का एक अंग है। लोग समूहों में एकत्र होते हैं और चर्चा करते हैं। पश्चिम बंगाल के प्रत्येक शहर में चौराहों पर इस तरह के समूह देखे जा सकते हैं।
मीठा और तीखा – भूख बढ़ाने वाला भोजन
बंगाली भोजन आज विश्व भर के शैफ की पहली पसंद बन चुका है। यहाँ केवल भौगोलिक स्थिति में ही विविधता नहीं है बल्कि पश्चिम बंगाल के भोजन में भी विविधता पाई जाती है। यहाँ स्वादिष्ट मुग़ल भोजन जैसे बिरयानी और मुग़लाई पराठा से लेकर पारंपरिक बंगाली भोजन जैसे माछेर झोल या बंगाली फिश करी मिलती है।
मेले और त्योहार
मेले और त्योहार पश्चिम बंगाल पर्यटन का महत्वपूर्ण भाग है जिसमें दुर्गा पूजा, काली पूजा, सरस्वती पूजा, लक्ष्मी पूजा, जगदधात्री पूजा आदि प्रसिद्ध त्योहार शामिल हैं जिसमें विभिन्न रूप में स्त्री शक्तियों की पूजा की जाती है। गंगा सागर मेला प्रतिवर्ष हज़ारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालाँकि महानगरीय संस्कृति सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के लोगों को साथ लाती है तथा ये सभी त्योहार समान उत्साह से मनाते हैं।
पश्चिम बंगाल में पर्यटन
पश्चिम बंगाल पर्यटन में आपको नए और पुराने का मिश्रण देखने का अनुभव प्रदान करता है। सुंदरबन, बक्खाली, मूर्ति, बीरभूम में वन्य जीवन का भ्रमण, तारापीठ में धार्मिक स्थान, दार्जिलिंग और मोंगपोंग की प्राकृतिक सुंदरता या कोलकाता की विरासत, मुर्शिदाबाद और शांतिनिकेतन की सैर, पश्चिम बंगाल उत्साह से परिपूर्ण है।
पश्चिम बंगाल की जलवायु
पश्चिम बंगाल का मौसम दक्षिण में उष्णकटिबंधीय और उत्तर में उपोष्णकटिबंधीय है। यहाँ चार प्रमुख मौसम होते हैं जिसमें गर्म और आद्र गर्मी तथा ठंडी शामिल हैं। पूरे राज्य में अलग अलग मात्रा में वर्षा होती है।