हर-की-पौड़ी से 5 किमी दूर स्थित यह आश्रम हरिद्वार के प्रसिद्ध आध्यात्मिक विरासत स्थलों में से एक है। एक हिंदू लोककथा के अनुसार, यह आश्रम सात ऋषियों का आराधना स्थल था। वैदिक काल के ये प्रसिद्ध सात साधू थे- कश्यप, अत्री, वशिष्ठ, जमदग्नी, गौतम, विश्वामित्र एवं भारद्वाज।
कुछ मिथक यह भी कहते हैं कि गंगा नदी ने यहाँ स्वयं को सात धाराओं में विभक्त कर लिया जिससे कि प्रवाह के कारण साधुओं की आराधना में कोई व्यवधान न आये। यही कारण है कि यह स्थान ‘सप्त सरोवर या सप्त ऋषी कुंड भी कहलाता है। आगे चलकर ये सात धाराएं आपस में मिलकर एक सुंदर चैनल बनाती हैं जिसे नील धारा कहा जाता है।