1979 में स्थापित राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ईको-रिजर्व है, जिसकी सीमा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान से मिलती है। चंबल नदी घुमावदार घाटी, पहाड़ी और रेतीले किनारों से होकर गुजरती है। इस नदी में बड़ी संख्या में घड़ियाल, दुर्लभ डॉल्फिन और ऐलगेटर पाए जाते हैं।
सदियों तक बरसात और बाढ़ के कारण मिट्टी के कटने से चंबल घाटी का निर्माण हुआ। चंबल नदी के साथ 400 किमी तक फैले इस अभयारण्य का क्षेत्रफल करीब 1235 स्क्वायर किमी है।
स्थानीय और प्रवासी पक्षियों सहित इस अभयारण्य में 330 प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं। इसमें भारतीय गिद्ध और गेट्रर स्पॉटेड ईगल भी शामिल है। साइबेरिया के प्रवासी पक्षी इस अभयारण्य को और भी समृद्ध कर देते हैं। दरअसल यह महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र आईएन122 के रूप में सूचिबद्ध हैं। ठंड के समय में फ्लामिंगो (एक तरह की लाल चिड़िया), डार्टर, भूरा बाज और उल्लू जैसे पक्षियों की अन्य प्रजातियां भी इस अभयारण्य में दिखने लगती हैं।
प्रचीन भारतीय ग्रंथ के अनुसार चंबल को चरमन्यावती के नाम से जाना जाता था। ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति हजारों गायों के खून से हुई है, जिसकी राजा रंतीदेव ने बली चढ़ाई थी। चूंकि इसकी उत्पत्ति अपवित्र रूप से हुई है, इसलिए आम लोग इससे दूर ही रहे। चंबल नदी को इसका काफी फायदा हुआ और आज यह भारत की सबसे कम प्रदूषित नदियों में से एक है।
चंबल अभयारण्य घूमने का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर और नवंबर का महीना चंबल अभयारण्य घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
कैसे पहुंचे
यह अभयारण्य नई दिल्ली से पांच घंटे की दूरी पर है। यह रास्ता आगरा हो कर जाता है, ऐसे में आप अभयारण्य भ्रमण के बहाने ताजमहल भी घूम सकते हैं। रेल मार्ग की बात करें तो यह आगरा से 80 किमी दूर है। चंबल अभयारण्य का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भी आगरा में ही है।