दादरा और नागर हवेली ( डीएनएच ), पश्चिमी भारतमें एक केंद्र शासित प्रदेश ( यूटी ) है और इसकी राजधानी सिलवासा है। नागर हवेली, गुजरात और महाराष्ट्र के मध्य में स्थित है जबकि दादरा, गुजरात में नागर हवेली के उत्तर में स्थित है। पूरे प्रदेश में दमन गंगा नदी बहती है और प्रदेश के पूर्व से पश्चिमी घाट शुरू होते है। हालांकि, अरब सागर गुजरात में पश्चिम में है और डीएनएच घिरा है।
इस संघ शासित प्रदेश पर पहले मराठों का शासन था जब तक कि पुर्तगालियों ने इस पर अपना शासन न जमा लिया। पुर्तगालियों ने इस यूटी पर 1783 से 1785 तक शासन किया। पुर्तगाली इस क्षेत्र पर 150 वर्षो तक सर्वोच्च राज्य करते रहे लेकिन बाद में 1954 में भारतीय राष्ट्रीय स्वंयसेवकों के द्वारा उन्हे बाहर निकालने पर मजबूर कर दिया गया। बाद में 1961 में डीएनएच एक संघ शासित प्रदेश बन गया। हालांकि, पुर्तगाली प्रभाव अभी भी इस प्रदेश में झलकता है, यहां आने वाले पर्यटक यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से आकर्षित होते है।
491 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैले, दादरा और नागर हवेली क्षेत्र में कई आदिवासियों समूहों का घर है जैसे - वारलिस, डबलस, धोडियास और कोंकाणस। इस प्रदेश का 40 प्रतिशत क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है जो कि इन सभी आदिवासी समूहों का घर है।
दादरा और नागर हवेली में और आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन स्थल
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि दादरा और नागर हवेली, 150 वर्षो तक एक पुर्तगाली उपनिवेश था। उनके शासन का प्रभाव, इस क्षेत्र की वास्तुकला, भोजन और जीवनशैली में स्पष्ट दिखाई देता है। यूटी के प्रमुख आकर्षणों में से एक रोमन कैथोलिक चर्च - द चर्च ऑफ अवर लेडी ऑफ पाईटी है। आज, यहां की आबादी में काफी हिंदू है और यहां कई मंदिर भी स्थित है जिनमें से वृंदावन मंदिर एक है जो सिलवासा में बना हुआ है।
वास्तव में, अधिकाश: पर्यटक सिलवासा में ही ठहरते है क्योंकि यह हवाई, रेल और सड़क मार्ग द्वारा भली- भांति जुड़ा हुआ है, साथ ही यहां कई मंदिर और चर्च है जिनमें दर्शन करना एक अनोखा अनुभव होता है। जबकि राजधानी में रहते हुए, आप आदिवासी सांस्कृतिक संग्रहालय देख सकते हैं जहां कई प्रकार के मास्क, संगीत उपकरण, मछली पकड़ने के उपकरण और आदमकद प्रतिमाओं का दिलचस्प संग्रह है।
खानवेल, सिलवासा से 20 किमी. की दूरी पर स्थित है, यहां हरे - भरे पहाड़, ढ़लान वाले घास के मैदान, हरी - भरी पहाडि़यां और सुंदर गार्डन के बीच स्थित देशी स्टाइल कॉटेज बनी हुई है। यहां स्थित वनगंगा झील, एक खूबसूरत झील गार्डन है जो सिलवासा से 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। खानवेल से 20 किमी. ड्राईविंग करने के बाद आप दुधनी पहुंच सकते हैं जहां दमनगंगा का वॉटरफ्रंट, मधुवन बांध से शानदार नजारा प्रदान करता है।
पर्यटक यहां आकर हिरवा वन भी भ्रमण कर सकते हैं, यह एक खूबसूरत गार्डन है जहां क्रमबद्ध झरने है, देहाती दीवारें और मंहगे लॉन हैं जहां आकर आराम से सैर की जा सकती है। इस गार्डन में कई सुंदर फूलों का समूह है। सिलवासा में एक छोटा सा चिडि़याघर भी है जहां कई सुंदर - सुंदर रंगबिरंगी चिडि़यां, बंदर, अजगर और मगरमच्छ आदि हैं।
दादरा और नागर हवेली, वन्यजीवन के प्रति उत्साही लोगों के लिए बेहतरीन जगह है। आप यहां आकर वसोना लॉयन सफारी का विकल्प भी चुन सकते है। इस पार्क में रखे गए शेर, विशेष रूप से गुजरात के गिर अभयारण्य से लाए गए है।
इसके अलावा, दादरा और नागर हवेली में उल्लेखनीय स्थल सतमालिया धीर पार्क भी है जहां कई प्रकार की हिरण प्रजातियां और कई अन्य जानवर है। पर्यटक यहां कौनचा की भी सैर कर सकते है जो कि एक ठेठ आदिवासी गांव है, यह गांव सिलवासा के दक्षिण में 40 किमी. की दूरी पर स्थित है।
दादरा और नागर हवेली तक कैसे पहुंचें
दादरा और नागर हवेली तक हवाई, रेल और सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
दादरा और नागर हवेली की सैर का सबसे अच्छा समय
दादरा और नागर हवेली की सैर का सबसे अच्छा समय नवंबर से मार्च तक का होता है।