पूजा का बहाई स्थान : 1986 में नई दिल्ली में इसकी स्थापना के बाद से पर्यटकों ने स्वयं यह सिद्ध किया है कि यह एक अवश्य घूमने योग्य आकर्षण है । कैसे? पूजा के इस स्थान को लोटस टेंपल (मंदिर) के नाम से जाना जाता है जो प्रतिवर्ष बहुत बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
बहापुर नाम के छोटे से गाँव में स्थित यह स्थान नई दिल्ली का प्रमुख आकर्षण स्थल है और यह भारतीय महाद्वीप में संप्रदाय का प्रमुख मंदिर है तथा इसने अपनी सुंदर स्थापत्य कला के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं। इस स्थान की सुंदरता के कारण अवश्य देखने के अलावा इसका वर्णन कई प्रकाशनों और टी. वी. के कई कार्यक्रमों में किया गया है, तथा इसने विभिन्न कार्यक्षेत्रों में कई पुरस्कार भी जीते हैं।
अन्य सभी बहाई मंदिरों की तरह ही दिल्ली का पूजा का बहाई स्थान सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है, जैसा कि बहाई धर्म में बताया गया है। हालांकि किसी भी सम्प्रदाय के लोगों को यहाँ एकत्रित होने, प्रार्थना करने और अपने सम्प्रदाय से संबंधित धार्मिक मन्त्रों का उच्चारण करने की अनुमति है परंतु किसी को भी इस धार्मिक स्थान के अंदर उपदेश देने या धार्मिक कर्मकांड करने की अनुमति नहीं है।
पवित्र स्थान की वास्तुकला के विषय में संक्षिप्त वर्णन....
आईये देखते हैं कि ‘लोटस टेंपल’ को इस तरह बनाने के पीछे क्या विचार था। बहाई धर्मग्रंथ के अनुसार बहाई धर्म के संस्थापक – बहाउल्लाह के बेटे अब्दुल बहा ने स्पष्ट रूप से बताया कि पूजा के स्थान को नौ सिरों वाला गोलाकार होना चाहिए, इस स्थान के अंदर कोई भी मूर्ति या चित्र नहीं रखना चाहिए संरचना के अंदर किसी भी प्रकार की वेदी या मंच का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। दिल्ली का लोटस टेंपल भी अन्य बहाई मंदिरों की तरह ही बनाया गया है।
दिल्ली की यह विशिष्ट इमारत कमल के फूल से प्रेरित है और मुक्त रूप से खड़े हुए संगमरमर के 27 पत्थरों से बनी है जो पंखुड़ियों के आकार के हैं। नौ विभिन्न पक्ष बनाने के लिए इन्हें तीन तीन के समूहों में व्यवस्थित किया गया है। इस इमारत में नौ दरवाज़े हैं जिनमें से किसी से भी प्रवेश करने पर आप मुख्य कक्ष (हॉल) में पहुँचते हैं जिसकी क्षमता एक समय में 2500 लोगों को एकत्रित करने की है। 26 एकड़ की भूमि में स्थित यह कक्ष लगभग 40 मीटर ऊँचा है और यह नौ तालाबों और कुछ सुंदर उद्यानों से घिरा हुआ है।
अपनी वास्तुकला की अद्वितीयता के अलावा लोटस टेंपल की अन्य कई विशेषताएँ हैं। जहाँ इसे इसकी स्थापना के बाद से उत्कृष्ट कृति होने के कारण विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए हैं वहीं इसे पुस्तकों, भारतीय डाक टिकिटों, संगीत, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और टी. वी. कार्यक्रमों में दिखाया गया है। वर्ष 2001 में इसका वर्णन गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी किया गया क्योंकि यह उस वर्ष का वह धार्मिक स्थान था जिसकी सैर सबसे अधिक की गई।