बनावली, को वन्वालि भी कहा जाता है। यह फतेहाबाद शहर से लगभग 16 कि.मी दूर स्थित पुरुातात्त्विक टीले का स्थान है। यह टीला लगभग 10 मीटर ऊंचा है और लगभग एक वर्ग मील के क्षेत्र में फैला है। भले ही इसके समीप मानव वास नहीं करते पर यह उन लोगों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थानों में शैक्षणिक रुचि रखते हैं।
बनावली में की गई खुदाई से पूर्व-हड़प्पा और हड़प्पा युग की अमूल्य ऐतिहासिक जानकारियों के बारे में पता चला है जो क्रमानुसार 2800 ई.पू. - 2300 ई.पू. और 2300 ई.पू. - 1800 ई.पू. काल की है।
पुरातत्वविदों की खोजों से यह प्रमाणित हुआ है कि प्राचीन काल में यहां एक पूरा शहर मौजूद था। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि कृषि ही यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय था। वे जौ, सरसों और तिल की खेती करते थे। उनकी कृषि का मुख्य औजार एक लकड़ी का हल था। इन खोजों में कई चीजें शामिल हैं जो उस समय के लोगों की समृद्धि के स्तर पर प्रकाश ड़ालती है। प्राचीन लोग मिट्टी की ईंटों से बने घरों में रहते थे। उनके घरों में बैठकखाना, रसोई, भंड़ार कक्ष के साथ चीनी मिट्टी के बर्तन, वॉश बेसिन और जल निकासी व्यवस्था भी थी। घरों के पास अच्छी सड़के और गलियां भी बनी थी।
पाए गए आभूषणों में गहने और देवी तथा देवताओं की मूर्तियां शामिल है जो सोना, पीतल, तांबा और चांदी से बनाई गई हैं। उपकरणों और हथियारों को बनाने के लिए कारीगर तांबे और पीतल का इस्तेमाल करते थे। पक्षियों, फूलों और पेड़ों के बने कई चित्र और मूर्तियां पाई गई हैं।