भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से बड़ी संख्या में सिंधी भारत आ गए। पाकिस्तान के इन शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए गांधीजी के अनुरोध पर कच्छ के महाराज विजयराज जी खेंगार जी जडेजा ने कृपापूर्वक 15000 एकड़ जमीन दान में दे दी। इसके बाद भाई प्रताप ने गांधी जी के मार्गदर्शन में पाकिस्तान से आए लोगों के पुनर्वास के लिए पहल की। इस तरह शरणार्थियों के लिए एक ऐसे शहर की स्थापना की गई, जहां का मौसम और भाषा वैसा ही था, जहां से वे आए थे।
गांधीधाम और आसपास के पर्यटन स्थल
लोगों को बसाने के लिए सिंधु पुनर्वास निगम लिमिटेड बनाया गया और गांधीधाम शहर की स्थापना की गई। कांडला भारत और एशिया का पहला विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) था। मुक्त व्यापार से संबंधित गतिविधियों के कारण कांडला और गांधीधाम का बड़ी तेजी से विकास हुआ। कंडला का बंदरगाह भी एक पर्यटन स्थल है। गांधीधाम का भद्रेश्वर मंदिर श्री चंद्र प्रभुजी भगवान को समर्पित है और यह जैन समुदाय के धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र है। गांधीधाम के आसपास के अन्य धार्मिक स्थलों में अक्षरधाम और पुरनेश्वर मंदिर शामिल है। गांधीधाम में भीषण गर्मी के साथ-साथ कड़ाके की ठंड भी पड़ती है।
गांधीधाम का मौसम
गांधीधाम में पूरे साल मौसम काफी अप्रिय रहता है।
कैसे पहुंचें
यह जगह हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है।