गोंडल आज़ादी के पहले काठियावाड़ के आठ राजसी राज्यों में से एक माना जाता था। यहाँ के राजाओं को कारों के प्रति सम्मोहन था और इसलिए उस समय भी गुजरात के गोंडल में रोड की स्थिति काफी अच्छी थी। गोंडल की स्थापना 1643 एडी में ठाकुर श्री कुम्भोजी 1 मेरामंजी द्वारा किया गया और इसके बाद इस जगह को सर भागवत सिंघजी के काल में ख्याती मिली जिन्होंने गोंडल पर आज़ादी मिलने तक शाशन किया। रिवरसाइड महल जिसको इन्होने अपने बेटे युवराज भोजराजी के लिए बनवाया था आजकल परम्परागत होटल में तब्दील कर दिया गया है।
प्राचीन उपनिवेशी शैली के फर्नीचर, झूमर और अन्य सजावट भी देखने लायक है। राजसी परिवार को हमेशा से विशिष्ट कारों को इकठ्ठा करने का शौक रहा और यह आज पर्यटकों के लिए एक आकर्षण बन गया है। नवलखा महल को 17 वीं शताब्दी में बनाया गया और इसका नाम इसलिए भी पड़ा क्योंकि इसको बनाने में नौ लाख का खर्चा आया।
यहाँ पर अद्भुत पत्थर पर नक्काशी, बालकनी या झरोखा, मेहराब और घुमावदार सीढ़ियाँ हैं। राजसी परिवार का वर्तमान ठिकाना, हुज़ूर महल पुराने फर्नीचर, पेंटिंग और बगीचे से भरा है। गोंडल में स्वामी नारायण संप्रदाय का एक मंदिर है जिसका नाम अक्षर मंदिर है और यह गुनातितानंद स्वामी का 'समाधी स्थल' भी है।
गोंडल और उसके आस पास के आकर्षक स्थल
सुरेश्वर महादेव मंदिर, धरेश्वर महादेव मंदिर और भुवनेश्वरी मंदिर गोंडल के कुछ प्रसिद्द धार्मिक स्थल हैं।
गोंडल कैसे पहुंचें
गोंडल जाने के लिए पर्यटक हवाई यात्रा, रेल यात्रा और रोड के द्वारा गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।
गोंडल जाने का उचित समय
गोंडल जाने का सबसे उचित समय ठण्ड का मौसम है क्योंकि इस दौरान मौसम काफी सुहाना रहता है।