यह मंदिर हिंदू भगवान कृष्ण को समर्पित है जिन्हें “गोपालजी” भी कहा जाता है तथा यह मंदिर कृष्ण की बड़ी मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है जहाँ पर्यटक तथा स्थानीय लोग दोनों बड़ी संख्या में आते हैं। इस मंदिर के परिसर में दो छोटे मंदिर हैं ये नवरत्न वास्तुकला को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इस मंदिर का निर्माण 1778 में रानी जानकी ने करवाया था।