उद्दन वीरभद्र मंदिर एक देखने योग्य स्थान है और यहां भगवान उद्दन वीरभद्र की 3.6 मीटर ऊंची अखंड़ मूर्ति प्रतिष्ठापित है, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना गया है। इस मूर्ति के चार हाथ हैं तथा मूर्ति अपने प्रत्येक हाथ में एक तलवार, धनुष, तीर और ढाल पकड़े हुए है। इस मंदिर के दर्शन करने आए श्रद्धालु दक्षा की एक छोटी सी मूर्ति और सर्वांग लिंग (शिव लिंग) को देख पाएंगे। सैलानियों पर उद्दन वीरभद्र मंदिर में चित्रों के खींचने पर रोक लगाई गई है।
इस वीरभद्र देवता के उद्भव के साथ कई हिंदू पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक प्रचलित धारणा के अनुसार, वीरभद्र भगवान शिव का एक स्वरुप था जिसने अपने ससुर दक्ष की हत्या की जब उन्होंन अपनी पुत्री या शिव की पत्नी सती को अपमानित किया जिससे आहत होकर सती ने आत्महत्या कर ली। यह मंदिर भगवान शिव के इस भयंकर रुप को अर्पित है, जो हिंदू धर्म के तीन प्राथमिक देवताओं में से एक हैं।
यह मुख्य सड़क के निकट, शाही परिधि और पवित्र स्थानों के मध्य स्थित है। इस मंदिर के निकट एक विशाल अखंड़ दीपक तथा सती पत्थर स्थित है, यह पत्थर युद्ध में शहीद हुए योद्धाओं की पत्नियों को समर्पित है। हम्पी की मुख्य सड़क इस मंदिर के परिसर से होकर गुजरती है, जो चंड़ीकेश्वर मंदिर के सामने स्थित है।