स्थानीय भाषा में इसे 'थेर' भी कहा जाता है, अग्रोहा टीला एक पुरातात्विक स्थल है। यह टीला अग्रोहा के नाम पर है जो 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सी.टी. रोजर्स, नमक एक पुरातत्वविद् ने 1888-89 में टीले की खुदाई का काम शुरू करने का श्रेय जाता है। खुदाई के काम को पुरातत्वविदों की एक टीम ने 1978-79 में फिर से शुरू जिसकी अगुवाई हरियाणा पुरातत्व विभाग के जे एस खत्री और आचार्य ने किया।
मन गया की खोज में मिली ऐतिहासिक चीज़ें 3 से 4 शताब्दी ई.पू. और 13 वीं से 14 वीं शताब्दी ई. की थी। 7,000 कलाकृतियों पाई गयीं थी जिमें एक रक्षा दीवार, मंदिर प्रकोष्ठ, आवासीय भवनों के अवशेष और अन्य चीज़ें मिली थी।
उत्खनन में विभिन्न आकृति और रोमन, कुषाण, यौधेय और गुप्त काल से संबंधित आकार की चांदी और पीतल के सिक्के की खोज की गयी थी। उन पर प्राकृत अंकन के साथ अंकित किया गया था। अन्य खोजों में प्राकृत शब्दों की सील और अर्द्ध कीमती पत्थर, लोहे और तांबे के औजार, पत्थर की मूर्तियां, रेत की मूर्तियाँ और मास्क, मिट्टी पशुओं, बर्तन और खिलौने जैसी कलाकृतियों बड़ी संख्या में मिली थी।
अग्रोहा टीला के एक तरफ मंदिर का परिसर है और दूसरी तरफ शीला माता मंदिर।