फलकनुमा महल की डिजाइन एक अंग्रेज वास्तुकार ने तैयार की थी और इसका निर्माण कार्य 1884 में शुरू हुआ था। पहले इस महल का संबंध हैदराबाद के तत्कालीन प्रधानमंत्री विकार उल उमरा से था। बाद में इस महल को निजामों को दे दिया गया। इस महल का नामकरण उर्दू के एक शब्द पर किया गया है जिसका अर्थ होता है आकाश का प्रतिबिंब।
फलकनुमा महल चारमिनार से 5 किमी दूर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। मजेदार बाद यह है कि इस महल की बनावट किसी बिच्छू से काफी मिलती है। बिच्छू के डंक की तरह ही महल के दो विंग उत्तर की दिशा में बने हुए हैं।
महल के मध्य भाग में मुख्य भवन और एक किचन है। जनाना महल और हरम महल के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। महल के निर्माण में टूडोर के साथ-साथ इटैलियन वास्तुशिल्प का भी मिश्रण देखने को मिलता है।