नलगोंडा आंध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में नगर निगम का शहर है। शहर का नाम दो तेलुगु शब्दों का एक संयोजन है, नल्ला और कोंडा क्रमश: 'ब्लैक' और 'हिल' के लिए है। इसलिए, स्थानीय भाषा में नाम का मतलब है ब्लैक हिल। पहले नलगोंडा क्षेत्र नीलगिरि नाम से जाना जाता था। बामनों के शासनकाल के दौरान इस शहर का नल्लागोंडा के रूप में फिर से नामकरण किया गया था। निजामों के शासन के दौरान शासकीय प्रयोजनों के लिए इसको नलगोंडा के रूप में बुलाया जाने लगा।
हालांकि, जगह अभी भी स्थानीय लोगों द्वारा नल्लागोंडा के रूप में बोली जाती है। जगह 'मशहूर तेलंगाना मुक्ति संग्राम के कविता संग्रह' में और कई साहित्यिक कृतियों में भी इसी तरह से लिखी जाती है। कई लोग यह राय भी देते हैं, कि सरकारी दस्तावेजों में जगह इस तरह की वर्तनी में होनी चाहिए। आज, नलगोंडा तेलंगाना आंदोलन के एक केंद्रीय हिस्सा बन गया है, क्योंकि आंदोलन का प्रमुख हिस्सा नल्लागोंडा और वारंगल जिलों के आसपास घूमता है।
दोनों जिलों के लगभग सभी कस्बे और गांव तेलंगाना आंदोलन में शामिल रहे हैं। आंदोलन आंध्र महा सभा और साम्यवादियों के सदस्यों के दिमाग की उपज थी। मार्शल लॉ का 1946 के बाद से इस क्षेत्र में प्रसार किया गया है। बहुत से लोगों ने क्षेत्र के सामंती प्रभुओं के गुंडे, राज़कारों के हाथों अपनी जान गंवाई।
निजाम की सेना ने भी आंदोलन के कई समर्थकों की हत्या करके जिलों में तबाही मचाई। नतीजतन, 3000-5000 गांवों मुक्त हो गए, और प्रत्येक गांव के लिए नेता नियुक्त किए गए थे। सामंती प्रभुओं से भूमि ले कर जरूरतमंद और खेती वाली आबादी के बीच वितरित कर दी गई। अंत में भारतीय बलों द्वारा युद्ध को समाप्त कर दिया गया, और नल्लागोंडा और वारंगल जिलों के साथ साथ हैदराबाद का क्षेत्र भारतीय संघ का हिस्सा बन गया।
नलगोंडा में और आसपास के पर्यटक स्थल
आज, पर्यटन की दृष्टि से नलगोंडा आंध्र प्रदेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कारण यह है कि, नलगोंडा पर्यटन से अपनी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त करता है, क्योंकि यह किसी भी अन्य प्रमुख व्यापार पर निर्भर नहीं है।नलगोंडा में कई जगहें तो जरूर घूमने लायक हैं वो हैं मत्तापल्ली, पिल्ललमार्री, राजीव पार्क, पानीगिरी बौद्ध स्थल, पनागल मंदिर, नंदीकोंडा, लतीफ शेब दरगाह, कोल्लनपाकू जैन मंदिर, राचाकोंडा फोर्ट, मेल्लाशेरवू, देवेराकोंडा किले और हैं भुवनगिरी किला। इन सभी स्थानों पर नलगोंडा के इतिहास का काफी महत्व है।
नलगोंडा तक कैसे पहुंचे
ट्रेंन और सड़क द्वारा नालगोंडा पहुंचना आसान है, यद्यपि यह जगह किसी भी राष्ट्रीय राजमार्ग पर नहीं पड़ती है। नलगोंडा में रेलवे स्टेशन गुंटूर-सिकंदराबाद रेलवे लाइन पर एक महत्वपूर्ण स्टेशन है, और रास्ते से गुजरने वाली कई ट्रेनें शहर पर रुकती हैं। सड़क परिवहन व्यवस्था भी बहुत अच्छी है और नलगोंडा से आने-जाने के लिये नियमित रूप से कई बसें हैं। निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद में है।
नलगोंडा मौसम
बहुत शुष्क और गर्म गर्मियों के साथ इस जगह का मौसम उष्णकटिबंधीय जलवायु है। नलगोंडा में मॉनसून के दौरान औसत वर्षा होती है, और सर्दियां हल्की ठंडी होती हैं। इसलिये नलगोंडा जाने वाले लोग यहां सर्दियों में आना पसंद करते हैं, और वो भी दोपहर के बाद, क्योंकि सूर्य की किरणें शाम के समय हल्की होने लगती हैं, और देर शाम और रात में यह काफी सुहावना हो जाता है।