श्री कणप्पा मंदिर, श्रीकालाहस्ती शहर की एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है और इसके साथ एक बहुत ही रोचक कथा जुड़ी है। श्रीकालाहस्ती का यह मंदिर भगवान शिव के एक असाधारण भक्त को समर्पित है जो भक्त कणप्पा के नाम से जाना जाने लगा। इन्हें महाभारत के पांडव अर्जुन का अवतार माना जाता है, जोकि एक परम शिव भक्त थे।
कणप्पा नामक एक आदिवासी युवा, पत्तियों और धूल से लथपथ एक शिवलिंग को पाने के बाद भगवान शिव का प्रबल भक्त बन गए। शिवलिंग को साफ करने के लिए उसने पास में बहती एक धारा से अपने मुंह में पानी भरकर लाए तथा एक सूअर को मार कर, भगवान को उसका भोग लगाया, जो धार्मिक नियमों के खिलाफ है। एक पुजारी ने कणप्पा की भक्ति को चुनौती दी, और अन्य भक्तों और भगवान शिव पर अपनी श्रेष्ठता को साबित करने के लिए कणप्पा की भक्ति को परखने का फैसला लिया। भगवान ने शिवलिंग की आंखों से खून बहाया।
कणप्पा ने रक्ततस्राव को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह असमर्थ रहा। फिर उसने अपनी आंखें बाहर निकाली और शिवलिंग की आंखों पर रख दी और फिर रक्ततस्राव तुरंत थम गया। इसके बाद भगवान शिव प्रकट हुए और कणप्पा को शिव के साथ पूजा जाने का वरदान दिया। श्री कणप्पा मंदिर को प्रसिद्ध कथा का स्थल माना जाता है और देश भर से भक्त साल भर इस स्थान पर आते हैं।