केदारनाथ वन्यजीव अभ्यारण्य सन् 1972 में स्थापित किया गया था और इसका नाम केदारनाथ मन्दिर के नाम पर ही रखा गया है। यह स्थान चमोली जिले की अलकनन्दा घाटी में स्थित है। यह 967 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है जहाँ पर ऐल्पाइन, कॉनीफेरस, बगयाल, ओक, चीड़, भूर्ज और कई अन्य प्रजातियों के पेड़ पाये जाते हैं।
इसके साथ ही क्षेत्र की विविध भौगोलिक संरचना अभ्यारण्य में विभिन्न प्रकार की पुष्प प्रजातियों की वृद्धि को बढ़ावा देती है। यात्री अभ्यारण्य में स्तनपायियों, सरीसृपों, पक्षियों और प्राइमेटों की विभिन्न प्रजातियों को देख सकते हैं। क्षेत्र में आसानी से देखे जाने वाले जन्तुओं में तेंदुये, भेड़िये, काले भालू, सफेद तेंदुये, साँभर, गोरल, तहर, सेराव, भारल और तेंदुये शामिल हैं।
इस अभ्यारण्य को केदारनाथ कस्तूरी मृग अभ्यारण्य भी कहते हैं क्योंकि यह कस्तूरी मृग की विलुप्तप्राय प्रजाति का संरक्षण करता है। अभ्यारण्य में पाये जाने वाले कुछ पक्षियों में हिमालयी मोनल, स्लेटी चित्ती वाले वार्बलर और फ्लाईकैचर शामिल हैं।
यात्री मन्दाकिनी नदी में शाइजोथोरैक्स, नेमाचेलियस, गारा, बैरिलियस और महसीर टोर टोर की विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को भी देख सकते हैं। मन्दाकिनी नदी मेनन, काली, बियरा और बालासुती नदियों के साथ अभ्यारम्य का उत्तरी-दक्षिणी दिशाये बनाती है।