पर्यटक इस जगह आकर पक्षी अभयारण्य में बिंदास सैर कर सकते है। इस अभयारण्य का दृश्य बेहद खूबसूरत दिखता है, यहां ताजी चलने वाली हवा, चिडि़यों की चहचहाहट आदि इस जगह को मनोरम बनाते है। लेकिन इस अभयारण्य की सैर दिन के कुछ घंटों में ही कर सकते है और इसके लिए फीस देनी होती है। यहां आकर आप एक ही समय पर सभी पक्षियों को नहीं निहार सकते है लेकिन हर स्थान पर सैर करने के बाद अधिकांश: सुंदर सी चिडि़यां दिख जाती है।
यहां एक सुंदर सा स्थान है जहां मानव और प्रकृति के बीच के काबिलेतारीफ सांमजस्य देखने को मिलता है। कोक्कारे बेल्लूर, कर्नाटक में बंगलौर - मैसूर हाईवे पर मांड्या जिले में स्थित है। यह पक्षी प्रेशर और शांत प्रिय लोगों के लिए अच्छा स्थल है। अन्य पक्षी अभयारण्यों की तरह, यहां कोई ऐसा स्थान नहीं है जहां सभी पक्षी एक साथ देखने को मिलें, यह एक छोटा सा गांव है जहां पेलीकन्स और पेन्टेड स्टॉर्क ने अपना घर बना लिया है।
इस शहर की सुंदरता बढ़ाने में यहां बसने वाले पक्षियों का सहयोग सबसे ज्यादा है, यहां पेलीकॉन्स की बहुतायत के कारण इस शहर को कोक्कारे कहा जाता है जो एक कन्नड़ भाषा का शब्द है।
कोक्कारे बेल्लूर की यात्रा का सबसे अच्छा समय
कोक्कारे बेल्लूर की यात्रा का सबसे अच्छा समय नबंवर से जून के दौरान होता है, इस अवधि में यहां लगभग 1000 पेलीकॉन्स और 2500 पेन्टेड स्टोर्क पाएं जाते है।
यह स्थान एकदम से पर्यटक स्थल नहीं कहलाता है लेकिन फरवरी और मार्च के महीने में आप यहां आकर हैंगआउट कर सकते है। मैसूर आर्मेचर नेचुरलेस्टि ( एमएएन ) के सचिव मनु के अनुसार, '' इस जगह पर मनुष्य और पेलीकॉन के आपसी सांमजस्य को देखा जा सकता है, यहां के स्थानीय निवासी, पेलीकॉन्स को मछली देने और उन्हे हमेशा जलस्त्रोत में बनाएं रखने का प्रयत्न करते है।'' मैं इस स्थान के साथ जुड़ा हुआ हूं और 1994 से यहां कई प्रकार की प्रजातियों को मानवीय संरक्षण में पलते देख रहा हूं और तभी से इन पक्षियों के संरक्षण में लगा हूं।'' इस बारे में वह आगे बढ़ाते हुए कहते है कि यह स्थान अब धीरे - धीरे विकास कर रहा है, भारत में इन विशेष प्रकार के पक्षियों का यही एक विशेष स्थान है, इसलिए शायद अब लोग यहां आना ज्यादा पसंद करते है।
पेलीकॉन्स के अलावा, चिडि़यां जैसे कि आईबिस, इरगेट्स और नाइट हेरोन्स आदि भी यहां पाई जाती है।