पवनांगर को पवनपुरी के नाम से भी जाना जाता है, यह स्थल भगवान महावीर की निर्वाण भूमि के रूप में लोकप्रिय है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर कुशीनगर से 22 किमी. पूर्व की दिशा में स्थित है। इस शहर में बौद्ध और जैन दोनों संतों का साथ जुड़ा हुआ है। जैन शास्त्रों में अनुसार, 24 या अंतिम तीर्थांकर, भगवान महावीर ले अपना शरीर यही छोड़ा था और इसी स्थान पर 543 ईसा पूर्व निर्वाण की प्राप्ति की थी।
यह मंदिर एक विशेष अवसर के दौरान यहां बनवाया गया था। इस मंदिर में एक शानदार मानास्तम्भ और चार कलात्मक नक्काशीदार मूर्तियां भी शामिल है। बौद्ध साहित्य के अनुसार, भगवान बुद्ध ने सुकारामद्दावा ( मशरूम भोजन ) को यहां ग्रहण कर लिया था, जिसे वैशाली से कुशीनगर जाने के रास्ते पर उनके शिष्य चुंद कम्मारा ने ऑफर किया था।
यह शहर ऐतिहासिक स्मारकों के कारण जैन व बौद्ध धर्म के अनुयायियों और पर्यटकों के लिए खास है। यहां हर साल हजारों की संख्या में जैन भक्त पूरी दुनिया से कार्तिक पूर्णिमा और दीपावली के अवसर पर आते है, इस दौरान ही महावीर भगवान ने निर्वाण लिया था। इसीकारण, इस दौर में निर्वाण महोत्सव का आयोजन करवाया जाता है और जूलूस को बाहर निकाला जाता है।