रामभर स्तूप को मुकुटबंधन - चैत्य या मुक्त - बंधन विहार के नाम से भी प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में पुकारा गया है। यह स्तुप, निर्वाण मंदिर से दक्षिण - पूर्व की दिशा में लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्तूप , दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्रियों के लिए एक अत्यधिक पूजास्थल है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध की 483 ईसा पूर्व में हुई मृत्यु के बाद उनका इसी स्थान पर अंतिम संस्कार कर दिया गया था।
बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, इस स्तुप का निर्माण मल्ल राजा के द्वारा करवाया गया था, बुद्ध के जीवनकाल के दौरान कुशीनगर के राजा हुआ करते थे। इस स्तुप की संरचना व डिजायन, ऐतिहासिक चरित्र को बखूबी दर्शाती है। यह स्तूप एक टीले पर बना है जो कुशीनगर - देवरिया मार्ग पर स्थित है।
इसे ईंटों की सहायता से बनाया गया है। इसका परिपत्र आधार 47.24 मीटर है और स्तुप 14.9 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा हुआ है। इसका ऊपरी सिरा एक ड्रम के आकार का है जिसका व्यास 34.14 मीटर है। यह एक कृषि भूमि पर स्थित है जहां चावल, गन्ना और गेंहू के खेत स्थित है। यहां पास में ही एक तालाबनुमा, पानी का स्त्रोत भी है।