मधुबनी का नाम लेते ही सुंदर मधुबनी चित्रकला की तस्वीर जेहन में कौंधने लगती है। बिहार का मुधबनी जिला दरभंगा प्रमंडल का हिस्सा है।
मधुबनी और आसपास के पर्यटन स्थल
मधुबनी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में जयनगर, सौराठ, कपिलेश्वरनाथ, भवानीपुर, झंझरपुर और फुल्लाहर शामिल है।
मधुबनी का इतिहास
मधुबनी पहले दरभंगा जिला का ही हिस्सा था और 1972 में इसे स्वतंत्र जिले का दर्जा प्राप्त हुआ था। यहां साहित्य से जुड़ी कई हस्तियां पैदा हुई हैं। वास्तव में ऐसा समझा जाता है कि मधुबनी लोकतंत्र को अपनाने वाला दूसरा शहर था। मधुबनी शब्द की उत्पत्ति मधु और वाणी से हुई है। मधु का अर्थ होता है मीठा या मधुर और वाणी का अर्थ होता है स्वर या बोली।
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि यहां के लोगों की बोली काफी मधुर और मीठी होती है। मैथिली यहां बोली जाने वाली मुख्य भाषा है, वहीं हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भी यहां के लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है। यह स्थान समुद्र तल से 56 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां मंदिर और तीर्थस्थल के रूप में ढेरों पुरातात्त्विक और धार्मिक स्थल हैं।
यहां पूरे साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। मधुबनी के पुरातत्व में आप मध्ययुगीन काल के आरंभ की निशानियां देख सकते हैं।
मधुबनी का मौसम
मधुबनी की जलवायु सबट्रॉपिकल होती है, जिससे यहां अधिकांश समय काफी नमी रहती है। अगर खानपान में आपकी दिलचस्पी है तो स्वीट वाटर फिश और मखाना इस जगह की खासियत है। छठ यहां मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है।
मधुबनी की समृद्ध संस्कृति
मैथिली हस्तशिल्प में कताई और बुनवट का अहम स्थान है और यह पूरे देश में प्रसिद्ध है। भले इन हस्तशिल्प को महिलाएं बनाती हों, पर ये इस क्षेत्र के समृद्ध हेंडलूम टेक्सटाइल का बेहतरीन उदाहरण है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की पुरातात्त्विक संपदा मधुबनी पर्यटन को और भी समृद्ध बना देती है।
यह शहर मधुबनी पेंटिंग के लिए भी जाना जाता है। इसे पेड़-पौधों के रंग और दिये की कालिख से बनाया जाता है। केनवास के तौर पर पेपर के साथ-साथ कपड़ों का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस क्षेत्र में मधुबनी लोकगीत भी काफी लोकप्रिय है।
मधुबनी पर्यटन का दूसरा पहलू
मधुबनी अपने यहां आने वाले पर्यटकों पर जादुई असर करता है। जो पर्यटक यहां आते हैं, वे इस स्थान की खूबसूरती और विरासत से इंकार नहीं कर सकते हैं। कम से कम इतना तो कहा ही जा सकता है आपको एक बार मधुबनी घूमने जरूर जाना चाहिए। यहां का भगवती को समर्पित मंदिर और उग्रनाथ मंदिर पर्यटकों की पहली पसंद है। वर्तमान में यहां आने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में इन मंदिर में पहुंचते हैं।