झारखंड राज्य का शासनिक मुख्यालय होने के साथ साथ साहेबगंज राज्य का एक महत्वपूर्ण जिला भी है। इतिहास में दर्ज है की 17 मई 1983 को साहेबगंज राजमहल और पाकुर, संथाल परगना जिले के उप प्रभागों के अलग होने के बाद बना था। साहेबगंज मुगल साम्राज्य के बंगाल सुबह के शासन के अधीन भी रहा है।
मनमोहक हरियाली के बीच बसे, साहेबगंज जिले में मुख्य रूप से जनजातीय आबादी है। यहाँ की ज़यादातर ज़मीन उपजाऊ है और अच्छे से खेती भी होती है। यहाँ के स्थानीय निवासी बारिश के पानी की मदद से बरबट्टी और मक्का उगते है। साहेबगंज के ज़यादातर लोग फहरिअस और संथाल जाति के हैं।
साहेबगंज में और आसपास के पर्यटक स्थल
साहेबगंज में देखने के लिए कई खूबसूरत स्थल मौजूद है जिसको देख कर कोई भी आगंतुक निराश नहीं लौटेगा। यहाँ कई तीरथ स्थल भी है जैसे कनाहिया स्थान , राजमहल , जामी मस्जिद और शिव मंदिर। इसके अलावा, उद्वा झील, उद्वा पक्षी अभयारण्य , बिन्दुधाम और मगही मेला जैसी जगह नैसर्गिक सौंदर्य भरी पड़ी हैं।
साहेबगंज - भूगोल
अपनी भौगोलिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, साहेबगंज दो मुख्य प्राकृतिक डिवीजनों में बटा हुआ है। पहले क्षेत्र दामिन-इ-कोह के नाम से जाना जाता है जो जंगलों , पहाड़ों और ढलानों के विशाल इलाके में फैल हुआ है। इस क्षेत्र में बोरिओ , मन्द्रो , बढ़ैत , पठन और तालझारी ब्लॉक भी शामिल है।
दूसरा क्षेत्र ऊँची भूमि, तरंगों जैसे मेढ़ व गड्ढे से बना हुआ है जिसमें कई ब्लाक आते है जैसे साहिबगंज , राजमहल , उद्वा और बरहरवा। इसके अलावा, गंगा , गुमानी और बन्स्लोइ जैसी नदियाँ इस जिले से हो कर गुज़रती है। साहेबगंज अपने वन संसाधनों के लिए जाना जाता है , लकिन पेड़ों की भरी कटाई के कारण यह क्षेत्र दिन बा दिन कम घना होता जा रहा है। ऐसे हालात में वन विभाग ने आगे आकर इस जगह पर वनीकरण करने की जिम्मेदारी ले ली है।
साल वृक्ष यहाँ सबसे ज़यादा पाया जाने वाला पेड़ है, साहेबगंज में कटहल , मुर्गा , शिमला , बांस , आसन और सतसल और सागौन जैसे पेड़ों की कई किस्में देखने को मिल सकती है। किसान यहाँ से साल , सिमल का का लट्ठा और कटहल अन्य जिलों और राज्यों में निर्यात करते है।
इसके अलावा साहिबगंज में व्यापक तौर पे पशु भी उपलब्ध है, साहेबगंज में गंगा नदी के बिस्तर पर मछलियों का शृंखला समूह और मछली के अंडे जैसे, रोहू , कतला , मिरगा , कैटफ़िश और बढ़ैत घाटी से हिलसा की एक सरणी के संग्रह की अनुमति देता है।
साहेबगंज धनि संस्कृति
साहेबगंज के पास समृद्ध पारंपरिक विरासत भी है। संथाल्स और पहरिअस जो झारखंड के इस क्षेत्र में बसते है उन्होंने अपने को कुटीर और ग्रामोद्योग जैसे तसर पालन, गांव काले लोहार , बढ़ईगीरी , हथकरघा बुनाई , रस्सी बनाने, बीड़ी बनाने, मिट्टी के बर्तन बनाने, पत्थर के बर्तन बनाने और कई और कामो में लगा रखा है।
साहेबगंज लघु उद्योग आचे पैमाने पे मौजूद है को खनन और उत्खनन में कार्य करती है।झारखंड के साहेबगंज जिला व्यापार और वाणिज्य के प्रमुख केंद्रों में से एक है जो खाद्यान्न का थोक व्यापार करता है। जिले अलसी , गोनी बैग , तंबाकू , कपास , चीनी , मिट्टी का तेल , कोल चना , गेहूं और मक्का , का आयात करता है और इसी तरह धान , ज्वर , सबाई , घास , पत्थर चिप्स , खाल आदि के रूप में माल निर्यात करता है।
साहेबगंज मौसम
झारखंड के बाकी के हिस्सों की तरह , साहेबगंज का मौसम भी तीन भागों बटा है जैसे गर्मी, मानसून और सर्दियाँ। ग्रीष्मकाल और सूखा होता है, सर्दियों बहुत ठंडी होती है इसलिए अक्सर आगंतुकों यहाँ गर्मियों के दौरान आते है।
साहेबगंज तक कैसे पहुंचे
साहेबगंज रोडवेज , रेलवे और एयरवेज द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जिससे पर्यटकों के लिए शहर में आना आसान होगा।