शमागुरी सात्रा, माजुली का एक आर्कषण है और असम के वैष्णव केंद्रों में से एक है। शमागुरी सात्रा में पर्यटकों को आकर्षित करने वाले दिलचस्प मुखौटा शिल्प और कलाकृतियों आदि देखने को मिलते है।
शमागुरी सात्रा को एक महत्वपूर्ण कला, संस्कृति और शास्त्रीय अध्ययन के केंद्र के रूप में जाना जाता है। असम के अन्य सात्रा की तरह इस स्थल न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि इसे सांस्कृतिक केंद्र और उच्च शिल्प कौशल के रूप में भी जाना जाता है। वर्तमान में सात्रा एक अग्रणी संस्था है जहां मुखौटा बनाने की पुरानी शिल्प कला को सिखाया जाता है।
शमागुरी सात्रा जाने का सबसे आसान तरीका निमाती घाट से माजुली को नौका विहार करते हुए या जोरहाट जाने के रास्ते वाला है। यात्रा करने का अन्य विकल्प, लखीमपुर में लुईत-खाबोलूघाट मार्ग से भी है जहां से माजुली तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। शमागुरी सात्रा की सैर का सबसे अच्छा समय सर्दियों के दौरान का होता है जब तापमान पर्यटकों के अनुकूल होता है और द्वीप से ब्रह्मपुत्र बहती है।