मुरुड जंजीरा एक प्रसिद्द बंदरगाह है जो महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के अंतर्गत एक तटीय गाँव मुरुड में स्थित है। किसी समय सिद्दी राजवंश द्वारा कब्ज़े में किया गया यह केवल एक ही किला है जो मराठाओं, पुर्तगालियों, डच तथा इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अनेक हमलों के बाद भी खराब नही हुआ और हारा नही। जंजीरा नाम भारतीय मूल का नही है।
इसका उद्भव अरबी शब्द – जजीरा से हुआ है जिसका अर्थ है टापू या द्वीप। मुरुड को कभी हबसन या हब्शी के नाम से जाना जाता था जिसका मराठी में अर्थ है अब्य्स्सिनियन। मुरुड शब्द मोरोड़ से जुड़ा हुआ है जो एक कोंकणी शब्द है। इस प्रकार इस किले का नाम कोंकणी और अरबी शब्द – मोरोड़ और जंजीरा – से पड़ा जो बाद में मुरुड जंजीरा के नाम से जाना जाने लगा। अनेक लोग इस किले को जल जीरा भी कहते है क्योंकि यह स्मारक चारों ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है।
मुरुड जंजीरा का इतिहास
12 वीं शताब्दी में जब सिद्दी राजवंश द्वारा यह किला बनाया गया उस समय मुरुड शहर जंजीर के सिद्दियों की राजधानी था। विदेशी और घरेलू सत्तारूढ़ राजवंशों ने इस किले में घुसने तथा कब्ज़ा करने के अनेक असफल प्रयत्न किये जिसमें सबसे अधिक नुक्सान मराठों का हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज ने छह बार इस किले पर हमला कर कब्ज़ा करने का प्रयत्न किया पर हर बार असफल हुए। स्मारक का दुर्ग शानदार ढंग से बनाया गया था।
प्रारंभ में मुरुड के स्थानीय मछुआरों द्वारा एक लकड़ी के गढ़ के रूप में बनाया गया यह किला समुद्री की ओर से होने वाले समुद्री डाकुओं के आक्रमणों से उनके बचाव के लिए और रक्षा के लिए बनाया गया था। कहा जाता है कि बाद में पीर खान ने अहमदनगर के निजाम शाही राजवंश के तहत इस किले पर कब्जा कर लिया। जैसे जैसे समय बीता उन्होंने इस किले को और मज़बूत किया और उसे इतना शक्तिशाली बनाया कि यह हमला करने वाले दुश्मनों के लिए अभेद्य बन गया। अहमदनगर साम्राज्य के एक प्रमुख शासक मालिक अंबर ने किले को फिर से बनाया।
वहाँ रहते हुए न चूकें
मुरुड जंजीर किला एक मज़बूत समुद्री किला है जहाँ राजापुरी घाट से पहुँचा जा सकता है। यहाँ अभी भी कई बुर्ज और तोपें हैं जो खराब नही हुई हैं। किले के परिसर में मस्जिद, अधिकारियों के रहने के स्थान, अनेक महल और एक बड़ी पानी की टंकी है। बेसिन का अद्भुत द्वीप किला भी एक और ऐतिहासिक स्मारक है, जहाँ से बेसिन का समुद्र तट देखा जा सकता है। पास का पंचला किला भी दर्शनीय है। ऐतिहासिक किले के अलावा, मुरुड छुट्टियों के लिए आदर्श स्थान है।
इसके समुद्र तट पर चांदी की तरह चमकती हुई सफ़ेद रेत है जिसके किनारे नारियल और सुपारी के पेड लगे हुए हैं। यहाँ का स्वच्छ पानी सूर्य की किरणों से चमकता है और चारों ओर फ़ैली हुई हरियाली शक्तिशाली चुम्बक की तरह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। धार्मिक लोगों के लिए एक प्रसिद्द मंदिर है जो भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है। इस मंदिर की मूर्ति अत्यंत सुंदर है जिसके तीन सिर हैं जो हिंदू देवता – ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के प्रतीक हैं। यह छोटा सा मछली पकड़ने का गांव एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में तेजी से उभर रहा है। यहाँ का सूर्य, रेत, ऐतिहासिक किले और सुहावना मौसम उन पर्यटकों को अपनी ओर बुलाते हैं जो ऐसे अनुभव का आनंद लेना चाहते है जो उन्हें हमेशा याद रहे।