जयलक्ष्मी विलास हवेली मैसूर का सबसे खूबसूरत ऐतिहासिक इमारत है और मैसूर में होते हुए इसे जरूर देखना चाहिए। यह हवेली मैसूर यूनिवर्सिटी के हरेभरे कैंपस से घिरी हुई है और एक पहाड़ी पर कुक्कराहल्ली झील के पश्चिमी छोर पर स्थित है। जयलक्ष्मी विलास हवेली को कुष्णराजा वुडेयार चतुर्थ के शासन काल में महाराजा चामराजा वुडेयार की बड़ी बेटी राजकुमारी जयलक्ष्मी अम्मानी के लिए 1905 में बनवाया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि जब इस इमारत को बनवाया गया था तो करीब 7 लाख का खर्च आया था। वहीं 2002 में जब इसका नवीनीकरण किया गया तो इसकी लागत 1.17 करोड़ रुए थी। 2006 में एक बार फिर इस हवेली का कर्नाटक सरकार द्वारा उद्घाटन किया गया।
यह हवेली करीब 6 एकड़ भूभाग में फैली हुई है और इसके दोनों तरफ प्रवेश द्वार है। इसमें 300 खिड़कियां, 125 कमरे और 287 नक्काशीदार दरवाजे के साथ-साथ कई अमूल्य हस्तशिल्प भी हैं। इस महल को लकड़ी व लोहा और ईंट व गारे की मदद से बनाया गया था।