15वी सदी में निर्मित आदीश्वर मन्दिर को चौमुखा मन्दिर भी कहते हैं। यह पवित्र स्थल अपनी वास्तुकला शैली के लिये काफी प्रसिद्ध जिसकी संरचना एक स्वर्ग विमान नलिनिगुल्म विमान के समान है। यह सबसे लम्बे जैन मन्दिरों में से एक है जिसके बनने में 65 वर्ष का समय लगा।
इस मन्दिर की जैनियों मे बहुत मान्यता है क्योंकि यह देश के पाँच प्रमुख जैन तीर्थ स्थलों में से यह एक है। मन्दिर की इमारत तिमंजला है जिसमें 80 गुम्बद और 29 हॉल हैं। मन्दिर के आधार पर 1444 खम्भों पर खड़े मण्डपों को भी पर्यटक देख सकते हैं। मन्दिर के सबसे आन्तरिक भाग को भगवान आदिनाथ या ऋषभदेव की चतुर्मुखी प्रतिमा से सजाया गया है।