पाटन में सैंकड़ों जैन मंदिर हैं, क्योंकि सोलंकी काल को जैनियों के केंद्र का काल माना जाता है। उन मुख्य मंदिरों में से एक पंचसारा पार्श्वनाथ जैन डेरासर है। पाटन में कई जैन मंदिर हैं, जिनमें सफेद संगमरमर का फर्श और पत्थर की नक्काशी हैं, जो जैन मंदिरों की विशेषताएं कही जाती हैं।
इससे पूर्व जैन मंदिर लकड़ी से बनाया गया था। इस पैटर्न में परिवर्तन के पीछे दिलचस्प कहानी है, वो है मास्टर बिल्डर, उदा मेहता ने एक बार देखा कि मंदिर के अंदर एक चूहा मुंह में एक जलती हुई मोमबत्ती लेकर चल रहा है। माना जाता है कि इसी के बाद से मंदिरों का निर्माण लकड़ी के बजाये पत्थर से किया जाने लगा।