मध्ययुगीन काल के दौरान कभी गुजरात की राजधानी रह चुका, पाटन आज बीते युग की एक गवाही के रूप में खड़ा है। पाटन 8वीं सदी के दौरान, चालुक्य राजपूतों के चावड़ा साम्राज्य के राजा वनराज चावड़ा, द्वारा बनाया गया एक गढ़वाली शहर था।
पाटन में और आसपास के पर्यटक स्थल
इसे अन्हिलवाड़ पाटन भी कहा जाता है, जिसका नाम राजा वनराज के चरवाहे मित्र अन्हिल के नाम पर पड़ा। वर्तमान में शहर कभी दिल्ली के सुल्तान, कुतुब उद दीन ऐबक द्वारा तबाह किये गये एक राज्य के खंडहरों के बीच खड़ा है। मुस्लिम आक्रमण के परिणामस्वरूप, पाटन में कुछ मुस्लिम आर्किटेक्चर है, जो अहमदाबाद में स्थित आर्किटेक्चर से भी पुराने हैं।
चालुक्य और सोलंकी काल जैसे रानी की वाव से लेकर त्रिकम भरोत नी वाव, कालका के पास पुराना किला, सहस्रलिंग सरोवर, आदि तक यह जगह कई इमारतों के खंडहरों से भरी हुई है। पाटन जैन धर्म के प्रसिद्ध केन्द्रों में से एक है और यहां सोलंकी युग के दौरान निर्मित हिन्दू और जैन मंदिर पाये जा सकते हैं। वर्तमान में, पाटन पटोला साड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है, जो सलविवाड़ में मश्रु बुनकरों द्वारा बनायी जाती हैं।