एक सीढ़ी युक्त कुआं, रानी की वाव का निर्माण रानी उदयामती द्वारा अपने पति राजा भीमदेव की प्यार भरी स्मृति में 1063 में कराया गया था। राजा भीमदेव ही सोलंकी राजवंश के संस्थापक थे। ज्यादा तर सीढ़ी युक्त कुओं में सरस्वती नदी के जल के कारण कीचड़ भर गया है।
अभी भी वाव के खंभे अभी तक सोलंकी वंश और उनके वास्तुकला के चमत्कार के समय में ले जाते हैं। वाव की दीवारों और स्तंभों पर अधिकांश नक्काशियां, राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि, आदि जैसे अवतारों के विभिन्न रूपों में भगवान विष्णु को समर्पित हैं।