यह श्राइन एक विख्यात सूफी संत की याद में बनवाया गया था जिन्हे लोग संत ईल्लाही बख्स साहिब के नाम से पुकारते थे। यह श्राइन पुंछ से 37 किमी. की दूरी पर बट्टलकोटे में स्थित है। यह जगह एक सुंदर सा गांव है जो पीर पंचल माउंटेन रेंज और दो झरनों नैन सुख व नंदी स्कूल के बीच में स्थित है। यह धार्मिक स्थल चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है।
यहां से ऊंचे पहाड़ और सुंदर झरनों का नजारा देखा जा सकता है। कहा जाता है कि सन् 1948 में संत ईल्लाही बख्स साहिब यहां आएं थे और कुछ समय तक ठहरे थे। उसके बाद कई स्थलों के भ्रमण के बाद चह वापस यहां आकर अपने अन्तिम समय तक रूके थे।
उन्होने अपनी मृत्यु के चार दिन पहले ही अपने शिष्यों को अपनी मौत के बारे में बता दिया था। मरने से पहले उन्होने अपनी कब्र के लिए जगह भी चुन ली थी। उनके मृत शरीर को तीन दिन तक आम जनता के दर्शन के लिए खुला रखा गया था। लोग संत को आज भी उनके सरल व्यवहार के कारण याद करते हैं। हर साल मई के महीने में संत की याद में उर्स का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।