पुष्कर झील, एक अर्द्ध गोलाकार पवित्र जल से भरी झील है जिसे तीर्थराज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदु पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवाना ब्रहमा ने दानव वज्र नाभ का कमल के फूल से वध किया तो उस फूल की एक पंखुडी टूटकर यहां गिर गई और झील की उत्पत्ति हुई। इस पवित्र हिंदू झील की अधिकतम गहराई 10 मीटर है।
पुष्कर झील, चारों तरफ से लगभग 300 मंदिरों और 52 घाटों ( जो झील के किनारों पर एक श्रृंखला में स्थित हैं ) से घिरा हुआ है, जहां श्रृद्धालु पवित्र स्नान करते हैं। यह एक धारणा है कि अगर कोई व्यक्ति कार्तिक पूर्णिमा के दिन इस झील में पवित्र डुबकी लगाता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इसके अलावा, यहां मान्यता है कि पुष्कर झील में स्नान करने से उस मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं और कई प्रकार की त्वचा सम्बधी रोग भी दूर हो जाते हैं।