नाथद्वार जिसे "मेवाड़ का अपोलो" भी कहा जाता है, राजस्थान के उदयपुर में बनास नदी के किनारे स्थित है।
कला और प्राचीन कलाकृति का साम्राज्य
यह टाउन अपने पिछवाई पेंटिंग और रंगीन टेराकोटा उत्पाद के लिए मशहूर है। इस क्षेत्र का चित्रकला उद्योग करीबन 2000 साल पुराना है। सभी आर्ट फॉर्म में "मीना वर्क" इस क्षेत्र का सबसे मशहूर आकर्षण है। यहाँ पर आने वाले पर्यटक यहाँ से एथनिक दस्तकारी ले जा सकते हैं।
प्राचीन काल के मंदिर
कला का जन्नत होने के साथ साथ, नाथद्वार को धार्मिक जगह भी माना जाता है जो हिन्दू धर्म के भगवान कृष्ण और विष्णु और उनके कई अवतारों को समर्पित है। नाथद्वार जा रहे पर्यटकों को यहाँ के द्वारकाधीश मंदिर जाने की सलाह दी जाती है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर भगवान की लाल पत्थर से बनी मूर्ती के लिए मशहूर है। श्रीनाथजी मंदिर भी यहाँ का मशहूर धार्मिक स्थल है। इस स्थल पर भगवान की प्रतिमा को केवल एक मार्बल के टुकड़े को तराश कर बनाया गया है।
एकलिंगजी मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है, इस क्षेत्र का सबसे ज्यादा जाया जाने वाला धार्मिक स्थल है। इस मंदिर की प्राचीन मूर्ती 15वीं शताब्दी में बनायी गयी थी। सोमवार को यहाँ कई श्रद्धालू आते हैं क्योंकि भगवान के लिए विशेष पूजा का आयोजन होता है। इस क्षेत्र के कुछ और पर्यटन स्थल हैं: राजसमन्द, साहित्य मंडल पुस्तकालय और सांवरिया सेठ।
नाथद्वार कैसे पहुंचें
नाथद्वार हवाईयात्रा, रेलयात्रा और रोड के द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस क्षेत्र से नजदीकी हवाईअड्डा महाराणा प्रताप हवाईअड्डा या उदयपुर का डबोक हवाईअड्डा है। विदेशी पर्यटक यहाँ पर दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से आसानी से पहुँच सकते हैं। यहाँ उदयपुर रेलवे स्टेशन से ट्रेन ले कर भी पहुंचा जा सकता है। नाथद्वार के लिए हवाईअड्डे और रेलवे स्टेशन दोनों से ही कैब उपलब्ध है। अहमदाबाद, उदयपुर, पुष्कर, दिल्ली, अजमेर और जयपुर से नाथद्वार के लिए बसें भी मिलती हैं।
नाथद्वार में पूरे साल तीव्र मौसम रहता है। यहाँ जाने का सबसे उचित समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है। पर्यटक यहाँ जाने के लिए जुलाई से सितम्बर के बीच भी छोटे दौरे की योजना बना सकते हैं।