आम तौर से यू लुम सोह्पेटबैंग को “पृथ्वी की नाभि” के रुप में जाना जाता है, यह सेंग खासी विश्वासियों का बहुत पवित्र स्थान है। किंवदंतियों के अनुसार, सुनहरी बेल का पुल जो स्वर्ग और भूलोक को जोड़ता है वह यू लुम सोह्पेटबैंग के शिखर पर स्थित था। पर, जैसे-जैस धरती पर पाप बढ़ने लगे, यह पुल टूट गया। किंवदंती है कि, कि हेंनिट्रेप (अर्थात सात झोपड़ियां) जोकि खासी समुदाय की सात उप जनजातियां हैं, पृथ्वी पर सबसे पहले बसनेवालों में से थे।
यहां फरवरी के पहले रविवार को वार्षिक आदिवासी तीर्थयात्रा आयोजित की जाता है, और सेंग खासी विश्वासी 1 या 1/2 घंटे की पैदल यात्रा तैय कर इस पर्वत की चोटी पर पहु्ंचते हैं और यहां आपने अनुष्ठानों और धार्मिक कृत्यों को पूरा करते हैं, साथ ही वे पारंपरिक नृत्य और गीतों को भी गाते हैं।
सैर करने आए सैलानियों को, पहाड़ की चोटी से ग्रामक्षेत्र का दृश्य बेहद शानदार दिखाई देगा, और इसके साथ क्षेत्र के चारों ओर फैली विशालता बहुत लुभावनी है। यू लुम सोह्पेटबैंग शिखर 1,344 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और यह उमियाम झील के करीब है। यह स्थान शिलांग से 17 कि.मी दूर स्थित है और किसी स्थानीय टैक्सी या पर्यटक वाहन द्वारा आप शिलांग से यहां आ सकते हैं।